Thursday 9 July 2015

नैनीताल के नैन

"फिर से.....फ़ोटो देखने लगीं.....तुम को भी न...पहले तो बहुत सारी फ़ोटो क्लिक करवानी होतीं हैं.....फिर तुरंत...और बार बार देखनी भी होती हैं.... अरे...अभी तो यहीं हो........इस व्यू को...थोड़ा और एन्जॉय कर लो....देखो अपनी बालकनी से पूरा माल रोड...और..पूरी नैनी झील....कितनी बढ़िया दिख रही है...अब चलते चलते इतने महंगे रूम का... फुल पैसा तो वसूल लीजिये...लेक्चरर साहिबा" सन्दर्भ ने मोबाइल में झांकती व्याख्या को अपनी बाँहों में लेते हुए प्यार से कहा

"अरे...नहीं..फोटो नहीं देख रही..वो व्हाट्सएप पे..समीक्षा को अपनीे साथ वाली ..एक दो फोटोज शेयर की हैं...जानते हो..उसने क्या कहा.....उसने कहा जीजू को देख के ऐसा लग रहा है कि..जैसे...किसी सोलह साल की प्यारी लड़की के साथ.....कोई बत्तीस साल के अंकल घूम रहे हैं...ही ही ही ही" व्याख्या ने खिखिलाते हुए मीठी सी शरारत की

" इस सा....ली... समीक्षा की तो...वैसे...जरा...एक मिनट..उसे थैंक यू बोल देना ...मेरी उम्र चार पाँच साल कम करने के लिए" सन्दर्भ ने किसी नौजवान की तरह स्टाइल मारते हुए कहा

"और राईटर बाबू...रही बात पैसे वसूलने की तो....किसने कहा था इतना महंगा होटल करने को.....7500 एक दिन का...बाप.रे.. इतने पैसे में तो... हमारा एक महीने का राशन आ जाता" अचानक ख्वाबों की प्रेमिका से व्याख्या एक मध्यम वर्गीय गृहणी में बदल गई

"अरे यार...हम मिडिल क्लास लोग...पूरे साल पैसे बचा बचा के..अपनी कितनी इच्छाएँ मार मार कर...कुछ पैसे जोड़ कर...दो चार दिन हिल स्टेशन पे रहने आते हैं ...बिलकुल रईसों की तरह जीने को.....इतनी हाइट पे आकर...अपनी लो लाइफ से ...कुछ दिनों के लिए ही सही..मुक्त तो हो जाते हैं.....देखो बिलकुल इस चिप्स के पैकेट की हवा की तरह..ये भी मुक्त हो जाना चाहती है" सन्दर्भ ने हद से ज्यादा फूले हुए चिप्स के पैकेट को दिखाते हुए कहा

" हुँ...कैसे रईस...वो ऑन्टी को देखा था..इतना शो-ऑफ कर रहीं थीं... यहाँ नैनीताल में भी आकर...मैडम होटल में AC रूम मांग रहीं थीं..ही ही ही ही" व्याख्या ने चिप्स का पैकेट फाड़ते हुए कहा

"वैसे..राइटर बाबू..तुम्हे तो...बहुत से थॉट्स आये होंगे..यहाँ पहाड़ों पे आकर.." व्याख्या ने चिप्स का एक टुकड़ा सन्दर्भ को खिलाते हुए पूछा

" सच कहूँ...एक भी थॉट नहीं आया.....मैं बस पूरी तरह तुममे खोया रहा...तुम्हे देखता रहा..छोटी छोटी कितनी बातें ...तुम्हे बड़ी बड़ी खुशियाँ दे जाती हैं....और एक मैं था ...जो सोचता रहा कि बस जरा जिंदगी को सेट कर लूँ ...फिर एन्जॉय करेंगे...इसी चक्कर में अपने सुनहरे पाँच साल बेकार कर दिए...थैंक यू सो मच..जिद करके यहाँ लाने के लिए..वरना जिंदगी बनाते बनाते...मैं अपनी..इस..जिंदगी को ही भूल गया था" सन्दर्भ ने उसकी ठोड़ी को छूते हुए कहा

" सन्दर्भ...तुम्हारी बाँहों में बाहें डाल कर ...पिटे हुए चने खाते खाते...मुझे टहलना पसंद है ...वो चाहे माल रोड हो या फिर हजरतगंज की रोड...कोई फर्क नहीं पड़ता"

सन्दर्भ ने उसकी आँखों में खुद को खोने से बचाते हुए जल्दी से कहा" लेक्चरर साहिबा..चलो निकलना है अब..कार तैयार है..9 नंबर दबा के ..रूम सर्विस से...ग्रीन टी और टोस्ट मांगने के दिन खत्म हुए"

दोनों कार में अपना सामान रखवाने लगे...कार में एक गाना बज रहा है...आप लोगों ने सुना क्या?..नहीं ? अपने अपने मोबाइल कान के पास ले जाइये...और ध्यान से सुनिए :

"आने..वाला..पल...जाने वाला है....हो सके तो इसमें..जिंदगी..बिता लो..पल ये भी जाने वाला है..........................................................."

-तुषारापात®™

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