दहकता है
सुलगता है
जलता फिरता है
ये सूरज यूँ ही नहीं
देख लिया था
एक अमावस की रात
इसने उस चाँद को
कहीं और चार चाँद लगाते हुए
-तुषारपात®™
© tusharapaat.blogspot.com
सुलगता है
जलता फिरता है
ये सूरज यूँ ही नहीं
देख लिया था
एक अमावस की रात
इसने उस चाँद को
कहीं और चार चाँद लगाते हुए
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