Friday 20 November 2015

नवम्वर याद आता है

नवम्बर की गुलाबी शाम का
तुम्हारे छूने से
सुर्ख लाल रात हो जाना
याद आता है,

सुरमई बादल में लपटा चाँद
और चाँदिनी रंग की
रिमझिम बारिश का होना
याद आता है,

मखमली काले बादल की ओट में
सितारे का टूट के
चाँद पे ज़ार ज़ार हो जाना
याद आता है

बिजली की चमकती आवाज़ पे
मदहोश पड़े पड़े अचानक
तुम्हारा चौंक के मुझे थामना
याद आता है

चाय की प्याली हाथ में लिए
खिड़की खोल के
तुम पर सूरज फेंकना
याद आता है

चले भी आओ अब
ज़िन्दगी की सफेदी
यादों से रंगीन नहीं होती
बिस्तर की नीली चादर पे
बनाया हमारा इंद्रधनुष
याद आता है ।

-तुषारापात®™