Sunday 5 November 2017

त्रिशूल

तीर होता तो निशाने पे लगता जाकर
मैं वहीं का वहीं रह गया जमीं के त्रिशूल की तरह

-तुषारापात®

शनिश्चरी इतवार

उलझे हैं अंतरे में मुखड़ा उदास बैठा है
आशिक महबूबा के बच्चे के साथ बैठा है

-तुषारापात®