आँखों की दावातें जो न छलकीं थीं तो
क्यूँ गालों से गीली इबारतें मिटा रहा था
#तुषारापात®
तुषार सिंह 'तुषारापात' हिंदी के एक उभरते हुए लेखक हैं जो सोशल मीडिया के अनेक मंचों पे बहुत लोकप्रिय हैं इनके लिखे कई लेख, कहानियाँ, कवितायें और कटाक्ष सभी प्रमुख हिंदी अख़बारों में प्रकाशित होते रहते हैं तथा रेडियो fm पर भी कई कार्यक्रमो के लिए आपने लिखा है। कुछ हिंदी फिल्मों के लिए आप स्क्रिप्ट भी लिख रहे हैं। आप इन्हें यहाँ भी पढ़ सकते हैं: https://www.facebook.com/tusharapaat?ref=hl
आँखों की दावातें जो न छलकीं थीं तो
क्यूँ गालों से गीली इबारतें मिटा रहा था
#तुषारापात®
वो चाँदी को ताँबा बना रहा था
सफेद बालों में मेहंदी लगा रहा था
~तुषारापात®