Thursday 20 August 2015

चलन

एक हिन्दू- मेरे धर्म में कई अन्धविश्वास हैं जो दूर होने चाहियें
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(साले, धर्मद्रोही नपुंसक कहीं के धर्म को बदनाम करता है etc etc)

एक मुस्लिम- मेरे धर्म में कई अन्धविश्वास हैं जो दूर होने चाहियें
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( वाह भाई क्या बात कही है तुम्ही सच्चे मुसलमान हो और देशभक्त भी etc etc )
फेसबुक पे ये चलन खूब देखने को मिलता है पर सोचने वाली बात ये है कि कहीं ये भी एक प्रकार का मुस्लिम तुष्टिकरण तो नहीं? मुझे पता है इसमें अभी कई तरीके की दलीलें आ जाएँगी कि मुस्लिमों में कट्टरता बहुत अधिक है वो अपनी कमियाँ स्वीकार नहीं करते इसलिए जब कोई ऐसा करता है तो हम उसे सर आँखों पे उठा लेते हैं, उठाइये जरूर उठाइये मैं कब मना करता हूँ पर कम से कम अपनी कमियों पे भी उतनी तत्परता से कदम उठाइये।
वैसे मेरा ये मुद्दा उठाने का मकसद कुछ अलग है मेरी चिंता उन लेखकों के लिए है जो मुस्लिम हैं और लेखन क्षेत्र में अपनी पहचान बनाना चाहते हैं उनके लिए ये रास्ता सस्ती लोकप्रियता प्राप्त करने का हो सकता है (वैसे ये बात सब पर लागू होती है )पर इससे उनकी मौलिकता समाप्त होने का खतरा बढ़ जाता है ये likes और comments आपको बस एक ही तरफ सोचने और एक ही जैसा लिखने को बाध्य करने लगते हैं आप जाने अनजाने खुद को एक जाल में फंसा लेते हैं और आपको जब पता लगता है तब तक आप कुछ लोगों के हाथ की कठपुतली बन चुके होते हैं हर कोई इतना समझदार नहीं होता जो इससे बच सके हाँ एक दो हैं जिन्हें मैं जानता हूँ जो इस बहाव में भी अपनी सोच के साथ जमे रहे ,इसलिए अगर खुद को एक अच्छा लेखक और विचारक बनाना है तो हर प्रकार के लेख कवितायें कहानियाँ लिखिए जिससे आपके अंदर का लिखने वाला भी सांस ले सके और हम जैसा पढ़ने वाला भी ।
-तुषारापात®™