छत पे सोते हुए
कभी खटिए से गिरे हो?
रात के तीन बजे
जब अचानक से नींद टूटे
और आँख के सामने सितारे हों
चार पावों से गिरके ऐसा लगता है
मानो कोई मुर्दा अर्थी से जुदा होकर
खुली कब्र से आसमान ताक रहा है
मर के सब ऊपर क्यों जाते हैं?
भौतिकी के सिद्धांत याद आ रहे हैं
ग्रेविटी काम करती है
सिर्फ शरीर पे?
आत्मा पे इसका क्यों जोर नहीं
अंधेरे में ये सितारे क्यों टिमटिमाते हैं?
स्वर्ग में रौशनी बहुत है क्या
मरके जाने वाले शायद जल्दी में होते होंगें
काले आसमान में ये
चमकते सुराख़ कर जाते हैं
पर ये चाँद का झरोखा क्यूँ बना होगा?
ओह्ह हाँ सिंधु सभ्यता भी तो मरी थी
अच्छा अगर एक साथ सब मर जाएं तो
पहले से इतने सुराख़ वाला
ये पर्दा टिक पायेगा क्या?
समझा
ऊपर रहने वाले देव
हमारी रक्षा क्यूँ करते हैं
आकाश फट जाएगा
तो स्वर्ग में बैठे देवता धरा पे जो आ जाएंगे।
#तुषारापात®