Tuesday, 27 February 2018

शाम

किसी भी लिबास में उतरे ये शाम
उदासी के बुर्के में लिपट जाती है

उम्मीद का अपना सूरज डूब गया
रात किस्मत के सितारों से चिढ़ाती है

#तुषारापात®