फिर तुझसे कुछ उम्मीदें लगा रखीं हैं
दिल बहलाने को ये बातें बना रखीं हैं
कि छत नहीं पूरा आसमाँ टिका रखा है
बिना नींव के हमने दीवारें उठा रखीं हैं
बरगद के नीचे पनपने का हुनर ले आये
बेवजह उग आईं अपनी मूँछें कटा रखीं हैं
गर ये चार हो जातीं तो तीन हम हो जाते
इसी डर से नजरें बीवी से हटा रखीं हैं
कभी अच्छा था हमारा भी तुम्हारे जैसा 'तुषार'
उस गए वक्त की रुकी कुछ घड़ियाँ सजा रखीं हैं
-तुषारापात®™
दिल बहलाने को ये बातें बना रखीं हैं
कि छत नहीं पूरा आसमाँ टिका रखा है
बिना नींव के हमने दीवारें उठा रखीं हैं
बरगद के नीचे पनपने का हुनर ले आये
बेवजह उग आईं अपनी मूँछें कटा रखीं हैं
गर ये चार हो जातीं तो तीन हम हो जाते
इसी डर से नजरें बीवी से हटा रखीं हैं
कभी अच्छा था हमारा भी तुम्हारे जैसा 'तुषार'
उस गए वक्त की रुकी कुछ घड़ियाँ सजा रखीं हैं
-तुषारापात®™