Wednesday 22 February 2017

एकतरफा इश्क है एकतरफा सफर

एकतरफा इश्क है एकतरफा सफर
तेरा दिल मंजिल मेरा दिल मुसाफिर

लटों के छल्ले हैं ये फौलाद से
लगी है फाँसी इन जल्लाद से
खुली जुल्फ तेरी बाँध लेती नजर
एकतरफा इश्क है एकतरफा सफर

तेरा ख्याल है छोटा क्या बड़ा
साज हूँ सजावट का मैं तेरे बिना
तेरी साँसों पे बिछी है मेरी बहर
एकतरफा इश्क है एकतरफा सफर

बिना मांगे हाथ माँग भरूँ कैसे
सजा जाऊँगा एक दिन अपने लहू से
तेरी जुल्फों के बीच की ये डगर
एकतरफा इश्क है एकतरफा सफर

#तुषारापात®™

Friday 10 February 2017

काम आरोपित हो रहा है रति पर

काम आरोपित हो रहा है रति पर
चाँद आमंत्रित है पूर्वा फाल्गुनी पर

नृत्य कर रहीं हैं यों तुम्हारी नाभि पर
उंगलियाँ सुर ढूँढ रहीं हों मानो बाँसुरी पर
काम का संदेश अधरों के भीतर फूँक मैं
स्पन्दित हो रहा हूँ तुम्हारी प्रतिध्वनि पर

केश-मेघ आच्छादित हैं गर्वीले नगों पर
एक पथ के दो पथिक हैं लचीले पगों पर
सहस्त्रों कल्पनाओं से दिग्भ्रमित पुरुषार्थी मैं
अच्युत हो रहा हूँ नारीत्व की तुम्हारी पगडंडी पर

तुम तुम्बधारिणी यों मानो कोई वीणा मादक
संग-गीत को आतुर आलिंगनबद्ध मैं वीणा वादक
तान का आरोह-अवरोह कर सुरों की छेड़छाड़ मैं
लयबद्ध हो रहा हूँ स्वांसों की तुम्हारी रागिनी पर

वाष्प मोती बढ़ रहे ऊपर भीतर दोनों के उष्ण रण
मद की ऊष्मा में ढूँढ रहे शीतलता का दुर्गम क्षण
प्रेम की घटी शीघ्र न घटित हो कहीं सोचता यह मैं
समय सा विस्तारित हो रहा हूँ तुम्हारी सारिणी पर

पुष्प बाण से भंग की थी इसने तपस्या त्रिनेत्री की
शिव पार्वती के विवाह में भूमिका थी रति पति की
अपनी समस्त वासनाओं की होलिका जलाकर मैं
घृत अर्पित कर रहा हूँ यज्ञ की तुम्हारी अग्नि पर

#तुषारापात®™