Sunday 14 June 2020

यार सुशांत

कभी हम जान न पाए खुशनुमा नहीं वो मंज़र थे 
मुस्कुराते लबों की पीठ पे  घुपे बत्तीसों ख़ंजर थे 

#तुषारापात 😔