Tuesday 26 July 2016

लव ऐट फर्स्ट साइट

वो अपने दोस्त को बी4 में बिठा के अपने कोच बी1 में आया है,डिब्बे में हल्का सा उजाला है ज्यादातर लोग सो रहे हैं जो लोग अभी कुछ देर पहले कानपूर से चढ़े हैं वो भी लेट चुके हैं और क्यों न लेटें रात के साढ़े बारह से ऊपर का टाइम जो हो चूका है,ट्रेन भी अपनी रफ़्तार में है।

वो अपना सीट नम्बर ढूँढता धीरे धीरे आगे बढ़ता है हाँ ये रही 16 नम्बर अरे पर ये क्या इसपर तो कोई और सो रहा है वो थोड़ा तैश में आकर उसे जगाने वाला होता ही है कि सोने वाले का एक पैर कम्बल से बाहर आता है डिब्बे में जल रही एक मात्र लाइट के रिफ्लेक्शन से उस पैर में पड़ी पायल चमकने लगती है हल्के अँधेरे में भी वो पंजे की गुलाबी रंगत देख लेता है फिर कुछ हिचकते हुए कहता है "एक्सक्यूज़ मी... मिस.. अ..मैडम.. सुनिये ये मेरी बर्थ है.."

कम्बल हटता है वो हलकी नींद से जागी चेहरे पे बिखरे बाल लिए उठती है और एक सिस्का एल ई डी सा चमकता चेहरा देखके वो ठगा सा खड़ा रह जाता है कुछ बोल नहीं पाता वो कुछ देर तक उसे देखती है फिर पूछती है "ओ हेल्लो...इतनी रात को क्या मुझे ताकने के लिए उठाया है?"

वो हड़बड़ाते हुए जल्दी से कहता है "अ.. आप मेरी बर्थ पे हैं...ये बी1 16 ही है न.. ये मेरी सीट है"

"व्हाट रबिश...ऐसा कैसे हो सकता है...अपना टिकेट चेक करो.."उसने अपने बालों को बाँधते हुए थोड़ा जोर से कहा आसपास के लोग भी अब इंटरेस्ट से उनकी बात सुनने लगे

उसने 15 नम्बर की सीट पे लगा स्विच ऑन कर कूपे में लाइट जलाई और अपना टिकेट निकाल कर उसे पढ़के सुनाने लगा "अबोध श्रीवास्तव मेल 28 कोच बी1 सीट नम्बर 16 कानपूर सेंट्रल टू न्यू डेल्ही प्रयागराज एक्सप्रेस...ये देखिये" कहकर अबोध ने उसके हाथ में टिकेट दे दिया उसने उलट पुलट कर टिकेट देखा फिर अपने पर्स से अपना टिकेट निकाल कर उसे सुनाया "प्रयागराज एक्सप्रेस...बी1..16..कानपूर सेंट्रल टू न्यू देहली.. चैतन्या मिश्रा..24" कहकर चैतन्या ने अबोध को अपना टिकेट दिखाया और वापस रख लिया

अबोध हल्का सा परेशान हुआ पर उसके हिलते गुलाबी होंठ और चमकते दाँतों में खुद को गुम होता भी महसूस कर रहा था खुद को संभाल के वो कहता है "पर ऐसा कैसे हो सकता है...मैं तो प्लेटफॉर्म पे लगे चार्ट में भी अपना नाम देख के चढ़ा हूँ..मेरा एक फ़्रेंड भी बी5 में सफर कर रहा है... उसका सामान चढ़वाने में मुझे जरा सी देर हो गई..और इतनी देर में आप मेरी सीट.."

"भई.. आप लोग टी टी से बात करिये..ये साला रेलवे डिपार्टमेंट का सर्वर कुछ भी कर सकता है..एक ही सीट पे दो दो लोगों को टिकेट वाह" 15 नम्बर की सीट पे लेटे इलाहाबादी अंकल आखिर कब तक बीच में न बोलते,इतने में टी टी आ जाता है अबोध उसे सारी बात बताता है टीटी चार्ट में नाम चेक करता है और वो चैतन्या से टिकेट माँगता है वो अपना टिकेट दिखाती है टिकेट देख कर टीटी मुस्कुराते हुए कहता है "मैडम आपका टिकेट इसी ट्रेन..इसी कोच..इसी सीट का है..पर..बस एक छोटी सी समस्या है..आपको कल इस ट्रेन से सफर करना था"

"क्या मतलब...टिकेट आज का ही तो है..26 जुलाई..देखिये डेट भी पड़ी है इसपर.."चैतन्या ने हड़बड़ाते हुए कहा

"मैडम...प्रयागराज कानपूर सेंट्रल 12 बजकर पाँच मिनट पर पहुँचती है.. और रात 12 बजे के बाद डेट बदल जाती है..टेक्निकली..आज 27 है.. आपकी ट्रेन कल जा चुकी है..अब आप इन्हीं के साथ सीट शेयर करिये ट्रेन पूरी फुल है..सीट नहीं है...मैं अभी लौट के आता हूँ आपके पास" टीटी ने कहा और आगे टिकेट चेक करने चला गया

स्थिति बदल चुकी थी अभी जो मास्टर था वो अब बेग्गर हो चुका था "सॉरी.. आई एम सो स्टुपिड..बट मेरा दिल्ली पहुँचना बहुत जरूरी है.. कैन आई शेयर विद यू......" चैतन्या ने अपनी बड़ी बड़ी आँखें नचाते हुए अबोध से कहा,अबोध के मन में कैडबरी वाले न जाने कितने लड्डू फूटे उसने कहा "श्योर..बट वेट अ मिनट...अंकल आप ऊपर वाली सीट पे चले जायेंगे प्लीज हमें थोड़ी सुविधा हो जायेगी" उसने 15 नम्बर की साइड लोवर वाले अंकल से कहा और वो मान गए चैतन्या ऊपर से उतर के नीचे आई गुलाबी सूट में उसकी सुंदरता और निखर रही थी अबोध उसे देखता ही रह गया दोनों आधी आधी सीट पे बैठ गए और आपस में बातें करने लगे,अबोध तो उसपर दिल ही हार बैठा था उनके बीच मोबाइल नम्बर एक्सचेंज हुए और बात करते करते दोनों दिल्ली आने से थोड़ा पहले सो गए।

ट्रिंग ट्रिंग...ट्रिंग...मोबाइल की घंटी बजती है..चैतन्या मोबाइल पर अबोध का नम्बर देखती है और म्यूट करके एक तरफ रख देती है उसकी रूममेट उससे पूछती है "किसका फोन है जो उठा नहीं रही..?"

"आज ही ट्रेन में साथ आया है...थोड़ा भाव दिखाना जरूरी है..वही अपनी पुरानी कानपूर सेंट्रल से प्रयागराज वाली ट्रिक में फँसा नया मुर्गा है... पिछली बार फँसा अंकल तो बस चार महीने टिका था...पर ये यंग है और रिच भी...आठ दस महीने तो ऐश कराएगा ही" चैतन्या ने आँख मारते हुए कहा और फिर अबोध को फोन कर कहा "हाई.. वो मैं न..मैं..नहा रही थी.........."

लव ऐट फर्स्ट साइट जैसी घटना लाखों में किसी एक की सच्चाई बनती है और मेरे लाल तुम बाकी के 99999 में हो जिन्हें लड़कियाँ__________ बनाती हैं (रिक्त स्थान की पूर्ति अपने मन में करें,कमेंट में नहीं)

मन करे तो शेयर करो,जनहित में जारी द्वारा-
-तुषारापात®™