कई बार
ये होता है
तू मुझमें
छुपा होता है
आईने में होती है
जो सूरत
उसकी आँखों में
तू दिखाई देता है
लबों के
हिलने से
अपना
लेने से
एक कान को तेरा
एक को मेरा
नाम
सुनाई देता है
कई बार
चौंक चौंक जाता हूँ
जब अपने चेहरे पे
हाथ फिराता हूँ
समझ में नहीं आता
तू मुझको
या मैं तुझे
छुआई देता हूँ
होता है
यूँ अपने भी साथ
कई बार
होता हूँ खाली हाथ
लहू बेच के
मगर तेरी तस्वीर पे
चढ़ा फूलों की
कमाई देता हूँ।
-तुषारापात®