Monday 20 July 2015

चाँद का मुंह काला

एक रोज सुबह नहीं हुयी
आसमान खाली था
तारे टिमटिमा टिमटिमा के
थक के घर जा रहे थे
एक तारे ने बड़ी हिम्मत करके
रात के काले लिहाफ को थोड़ा सरकाया
तो जरा सी 'ब्रहम-मुहूर्त' की सुबह फूटी
सारे तारों ने देखा
चाँद और सूरज साथ साथ थे
चाँद के काले धब्बों का राज़ अब राज़ न रहा

-तुषारापात®™