Friday 15 April 2016

राम राम बैंक

क्या आप 32 साल पुराने किसी ऐसे बैंक को जानते हैं जिसमें न तो कोई रुपैये पैसे जमा करता है और न ही निकालता है मतलब उस बैंक में आर्थिक लेनदेन जैसा कुछ होता ही नहीं..कोई चेकबुक,विड्राल फॉर्म एटीएम कार्ड जैसा कुछ भी नहीं..फिर भी बैंक है और पिछले 32 वर्षों से चल रहा है...सुनने में अजीब लगता है न...?
आइये आपको साल के 365 दिन खुलने वाले और पूरे चौबीसों घण्टे काम करने वाले इस बैंक की सैर पे ले चलता हूँ

लखनऊ में अलीगंज और जानकीपुरम इलाकों के ठीक बीच में अर्थात अलीगंज और जानकीपुरम की सीमा रेखा पर एक चौराहा है जिसका नाम है 'राम-राम बैंक चौराहा' अब अगर चौराहा किसी बैंक के नाम पे है तो ये प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि चौराहे पे या उसके आसपास कोई इस नाम का बैंक भी होगा..पर इस बैंक के विचित्र नाम से पहले से असमंजस में फँसा व्यक्ति जब चौराहे पे बने शौपिंग काम्प्लेक्स और चारों ओर इस बैंक को ढूँढने का प्रयास करता है तो वो और चक्कर में पड़ जाता है कि ऐसा कोई बैंक कहीं दिख ही नहीँ रहा

दरअसल उस चौराहे से थोड़ा हटकर सीतापुर रोड के पास सेक्टर ए में स्थित है ये अनोखा बैंक जहाँ पैसा नहीं बल्कि उससे भी बहुत कीमती निधि राम नाम लेखन की पुस्तिका जमा होती है।अब तक इस राम राम बैंक में राम नाम के 80 करोड़ शब्द लिखकर श्रद्धालु जमा कर चुके हैं

इसके संस्थापक हैं श्री लवलेश तिवारी जिन्होंने 32 वर्ष पहले इस बैंक की स्थापना की थी उन्होंने बताया कि अपने शहर के हजारों लोग तो यहाँ राम नाम की पुस्तिका भर के जमा करते ही हैं बल्कि बहुत दूर दूर से लोग अपने हाथों से लिखकर राम नाम के हजारों शब्दों से भरी पत्रिकाएं यहाँ डाक द्वारा भेजते हैं जिसमें एक क्रिकेटर गौतम गंभीर के पिता जी भी हैं
साथ ही उन्होंने ये भी बताया कि ये सारी प्रक्रिया निशुल्क है ।

चौराहे का नाम राम राम बैंक कैसे पड़ा इसका भी मजेदार किस्सा है वो बताते हैं कि शुरू शुरू में हमने राम राम बैंक का बोर्ड चौराहे पे लगाया पर नगर निगम उसे हटा देता था इस तरह ये प्रक्रिया कई बार हुई कई बार बोर्ड लगा कई बार हटा,इसी लगने हटने की प्रक्रिया से इसे लोकप्रियता मिल गई और ये चौराहा राम राम बैंक चौराहा के नाम से प्रसिद्ध हो गया और अब नगर निगम खुद इसे अपने रिकॉर्ड में यही लिखता है।

इस बैंक में हिन्दू मुस्लिम सभी धर्म के लोग अपने अपने राम नाम जमा कराते हैं यह अनोखा बैंक सभी धर्मों के लोगों के लिए आदर व श्रद्धा का केंद्र है और राष्ट्रीय एकता का प्रतीक है साथ ही गरीब से गरीब आदमी का भी यहाँ खाता है और उसके खाते में लाखों राम जमा हैं
सोचिये जिसके खाते में हजारों लाखों राम जमा हों क्या उसकी पुण्य की चेक कभी बाउंस हो सकती है नहीं कभी नहीं ,सच है राम से बड़ा राम का नाम।

इसी के साथ सभी बड़े बुजर्गों को प्रणाम करते हुए आप सभी को रामनवमी की अनेकों शुभकामनाएं देता हूँ और प्रार्थना करता हूँ हम सबमें राम के चित्र की बजाय राम के चरित्र का जन्म हो ।

-तुषारापात®™