Tuesday 20 November 2018

ईश्वर तुझे क्षमा,मैं अपना यह जनम करता हूँ

चक्षु कमंडल से मेरे
छलकते,ये
श्राप के छींटे
तुझ पर पड़ जाएं

सात तहों के
अम्बर के
परिधान तेरे जल जाएं

जनम मरण
काल अकाल से परे
ओ भाग्यविधाता

जा इस क्षण ही
करतल रेखाओं में तेरी
समय चक्र पड़ जाएं

नहीं स्वीकार,तेरी
निरंकुश सत्ता,मैं
विद्रोह करता हूँ

भंग में लीन भगवान
निर्दयी,तुझसे,भंग
अपना मोह करता हूँ

मोक्ष का मेरा भाग
संसार से गुणन करता हूँ
तेरा सब ऋण,धन करता हूँ
ईश्वर तुझे क्षमा,मैं
अपना यह जनम करता हूँ।

~तुषारापात®

Wednesday 14 November 2018

हुनर

बड़ी मुश्किल से आता है
दो सीधी लाइनों के बीच लिखने का
हुनर आदमी को
हथेली की
आड़ी तिरछी लकीरों पे
लिखने वाले को ख़ुदा होना ही था

~तुषारापात®

Sunday 4 November 2018

प्रतिच्छेदन

नदी के व्यास पे
नाव के अर्धवृत्त पर तैरता
एक बिंदु
पतवारों की चाप से
क्षितिज का प्रतिच्छेदन कर
केंद्र होने चला है।

~तुषारापात®