Saturday 10 March 2018

नजर के तीर, आँखों के धनुष और लटों की डोरी

ये तो
तुम जानते ही होगे
कि
धनुष की डोरी
खींचने और छोड़ने से
तीर
निशाने पे जा लगते हैं
और ये भी
सब जानते ही हैं
कि
आँख के धनुष से
छोड़े गए
नजर के टेढ़े तीर भी
दिलों पे सीधे सीधे लगते हैं
मगर
क्या तुम ये जानते हो
कि
नजर के तीर भला
किस डोरी से चलते हैं
अभी अभी
दिल मेरा
ताजा ताजा
निशाना बना है
मेरे सामने बैठी उसने
बार बार
चेहरे पे आतीं
अपनी लटें
कानों पे चढ़ा के
हर बार मुझे देखा है।

~तुषारापात®

जायदाद

मेरी जायदाद बढ़ने के मशहूर किस्से हुए
मेरे तीन बेटे थे मेरे घर के चार हिस्से हुए

~तुषारापात®

मुक़द्दर की जलेबियाँ-हथेलियाँ

जब भी चूमा है हथेली को ये कसैली लगी है
मौला तूने कैसी ये मुक़द्दर की जलेबी लिखी है

~तुषारापात®

जिंदगी का जूता

नंगे पैर आते हैं हम नंगे पैर जाते हैं
पर ज़िंदगी तेरे जूते बहुत काटते हैं

~तुषारापात®

चाय की प्याली

मेरे
बाएं कान में
अपने दाएं हाथ की
उंगलियाँ फँसा के
वो
हौले हौले
छू रहा है मुझे
चाय की प्याली की तरह

~तुषारापात®