Friday 1 September 2017

ऑफिस लव

एक बार कहा था उसने
यूँ ही हँसी हँसी में
कभी तुम्हारे साथ डिनर करेंगे
लंच पे भला क्यों बहक रहे हैं

और जमाना ले उड़ा वो बात
दोस्तों ने भी खूब खिंचाई की
उस एक हँसी ठिठोली के
कई किस्से अब तक महक रहे हैं

लंच में खिचड़ी खाती थी
डाल के मक्खन मेरे साथ
अब उसकी लाज के चावल
किसी और घी में लहक रहे हैं

हमसे मत पूछो 'तुषार'
क्या हुआ था हमारा हाल
कई ख्याली पुलाव पके थे
आँख के चूल्हे अब तक दहक रहे हैं

-तुषारापात®