Saturday 14 May 2016

लड़की की शादी

"उस शिल्पी का तो चक्कर चल रहा होगा किसी से...कुछ ठहर गया होगा पेट में...इसीलिए उसकी इतनी गुपचुप और फटाफट शादी कर दी शर्मा लोगों ने... न किसी को बताया...न किसी को बुलाया...ऐसा कहीं होता है क्या" मिसेज दत्ता अपनी काम वाली मालती से अपने मोहल्ले के शर्मा जी के घर की टोह ले रहीं थीं
"मेम साब 'वन्डर' तो हमें भी लगा...पर शर्माइन कहिन कि आर्यसमाजी लोग हैं वो...तो शिल्पी बिटिया की शादी बड़ी सादगी से करिन..सिर्फ उनके घर के लोग और लड़के के घर के लोग इकठ्ठा हुए और चट मँगनी ते पट व्याह" मालती ने बात कुछ यूँ कही जैसे उसे खुद इस बात पे विश्वास न हो फिर आगे अपने मतलब की बात पे आते हुई बोली "मेमसाब लड़की की शादी तो हमको भी करनी है...आपसे कुछ पैसों की मदद हो जाती तो..एक दस हजार रुपैये"
"दस हजाSSSर...बड़ी महंगी शादी कर रही है क्या?" मिसेज दत्ता ने आँखें गोल करते हुए कहा
"अरे मेमसाब लड़के को हीरो हौंडा देना है और कुछ नगद भी...और फिर नाते रिश्तेदारों का न्यौता वगैरह....आप ही नहीं सबसे थोड़ा थोड़ा माँग रहे हैं" मालती ने ऐसे कहा जैसे इतना दहेज़ देना तो ईश्वरीय विधान के तहत आता है
"ठीक है...देखूँगी... देखूँगी..इनसे बात करुँगी" मिसेज दत्ता ने अपना पीछा उससे छुड़ाया और मोहल्ले की अन्य और औरतों से शिल्पी की शादी की 'सत्संगी' चर्चा करने को फोन उठा लिया
उधर शर्मा जी के यहाँ उनकी बेटी शिल्पी की शादी के बाद बड़ी बुआ आई हुई हैं शर्मा जी उनकी पत्नी और उनका बेटा संजय बड़ी बुआ की जली कटी बातें सुन रहे हैं "कुछ लोक लाज बाकी है तुममें शंभुनाथ..कि नहीं... पूरे खानदान में थू थू मची है.. ऐसे कहीं शादी ब्याह होता है..और तुम विमला तुम्हारे मायके की तरफ भी सब लोग हँस रहे हैं..और..ऐ संजय...ए तुम्हारे फूफा ने तो सुनाई सुनाई के जीनो हराम कर दियो" बुआ जी खड़ी बोली से अपने आंचलिक टोन में आते हुए बोलीं
और जैसे प्रेशर कूकर में कड़े आलू उबल के नरम पड़ जाते हैं वैसे ही बुआ जी की साढ़े तीन घंटे की अनवरत 'वंश और खानदान की वीरगाथा' सुनने के बाद शंभुनाथ शर्मा और विमला भी विचलित हो जाते हैं और निर्णय लेते हैं कि एक दिन निश्चित करके शिल्पी और शैलेन्द्र (दामाद) को बुलाकर एक 'आफ्टर मैरिज पार्टी' कर देते हैं वरना लोग क्या कहेंगे हालाँकि संजय को ये प्रस्ताव पसंद नहीं था पर उसकी किसी ने नहीं सुनी हाँ पापा को कुछ समझाते हुए उसने पूरे आयोजन की जिम्मेदारी चतुराई से अपने हाथ में ले ली और एक निश्चित दिन का सभी 'असंतुष्ट' रिश्तेदारों और कॉलोनी वालों को फोन से शाम के 8 बजे का न्यौता दे दिया गया
कार्यक्रम स्थल संजय के एक जिगरी दोस्त के घर की विशाल छत है संजय ने अपना म्यूजिक सिस्टम वहाँ लगा रखा है संगीत तेज है दिवाली पे घर पे लगने वाली झालर से दोस्त के घर को थोड़ा सजा दिया है साढ़े आठ बज रहा है लोग आना शुरू हो जाते हैं और साढ़े नौ तक अधिकतर लोग आ जाते हैं उनकी चाय नमकीन से सेवा करने के बाद संजय माइक लेकर बोलता है
"यहाँ पार्टी में आये वो लोग हैं जो शिल्पी की सादी शादी से बड़ी तकलीफ में हैं...जैसे हमारे प्रिय जीजाजी को तकलीफ है कि वो महँगी शराब पीकर अपनी सालियों के साथ 'कृष्णा नाच' नहीं कर पाये पाये...हमारे आदरणीय बड़े फूफा जी...जो बेचारे अपने और छोटे फूफा के टीके के बराबर पैसे को लेकर उत्पात नहीं कर सके..और हमारी जयपुर वाली पिंकी आंटी जो अपनी ढाई लाख की साड़ी किसी को नहीं दिखा पाईं और हमारे कॉलोनी की प्यारी सारी आंटीयाँ जिनको ये बताने का मौका नहीं मिला कि शिल्पी का रंग दूल्हे से थोड़ा दबा हुआ है" वो सबके बने हुए मुँह देखता है और आगे कहता है
"हमने शादी को दिखावा बना रखा है...अपने स्टेट्स को दिखाने का एक माध्यम...दहेज़ की रकम से पता करते हैं कि दुल्हन और दूल्हे के परिवार का क्या क्लास है..क्या रुतबा है...समाज की इसी मानसिकता के कारण लड़की का पिता...चाहे वो मालती के पति जैसा एक गरीब हो..या दत्ता अंकल जैसा अमीर...अपनी अपनी लड़की की शादी को लेकर इतना दबाव में रहता है कि उसे अपनी लड़की एक बोझ लगने लगती है...कोई मोटरसाइकिल देने के लिए परेशान है तो कोई मर्सिडीज देने के लिए... दहेज़ देना भी आज एक फैशन हो गया है नहीं दिया और कम दिया तो लोग हमें कमजोर न समझ लें..लो स्टैण्डर्ड का न समझ लें वाह हैं न कमाल की बात....और जो आदमी इस वाहियात परम्परा को तोड़ रहा है..उसकी बेटी चरित्रहीन है...या वो कंजूस है...या गरीब है...या उसकी लड़की ने भाग के शादी की है .." कहकर संजय ने अपनी उत्तेजना को गहरी साँस लेकर दबाया और आगे बहुत शांत और मीठे स्वर में बोला
"अभी वेबकैम पे शिल्पी और शैलेन्द्र वीडियो चैट पे होंगे आप लोग अपना अपना आशीर्वाद उन्हें दें...और जाते समय बूँदी के लड्डू का एक एक पैकेट जरूर से लेते जाइयेगा...और हाँ खाना अपने अपने घर जाके खाइयेगा"
इतना सुनते ही शंभुनाथ खिलखिला के हँस दिए..आश्चर्यजनक हैं न लड़की का पिता खुल के हँस रहा था।
-तुषारापात®™