दिन के वक्त जब तुम मिली थीं
तो थोड़ा सा तुमको चुरा लाया था
तुम्हारी खुश्बू तुम्हारा अक्स
चाय की प्याली से टकराती तुम्हारी अँगूठी की खनक
सुरमई आँखों में तुम्हारी डूबते दो सूरजों की चमक
घर आकर चोरी का ये सारा सामान
बंद आँखों से देख रहा था कि
पलकों के पल्लों पे कोई दस्तक देता है
खोलकर देखता हूँ तो
अपनी वर्दी में कई सितारे टाँकें
रात एक इन्स्पेक्टर की तरह
तुम्हारे ख्वाबों की हथकड़ी लिए खड़ी है
चाँद के पुलिस स्टेशन में
चोरी की रपट तुमने तो नहीं लिखवाई ?
-तुषारापात®™
तो थोड़ा सा तुमको चुरा लाया था
तुम्हारी खुश्बू तुम्हारा अक्स
चाय की प्याली से टकराती तुम्हारी अँगूठी की खनक
सुरमई आँखों में तुम्हारी डूबते दो सूरजों की चमक
घर आकर चोरी का ये सारा सामान
बंद आँखों से देख रहा था कि
पलकों के पल्लों पे कोई दस्तक देता है
खोलकर देखता हूँ तो
अपनी वर्दी में कई सितारे टाँकें
रात एक इन्स्पेक्टर की तरह
तुम्हारे ख्वाबों की हथकड़ी लिए खड़ी है
चाँद के पुलिस स्टेशन में
चोरी की रपट तुमने तो नहीं लिखवाई ?
-तुषारापात®™