Tuesday 28 July 2015

सच्ची कहानी: एक और आतंकी हमला

तड़..तड़..तड़ तड़...गोलियों की लगातार आवाज से पूरी चौकी थर्रा गई....दूर कहीं बम का जोरदार धमाका होता है..........धड़ाम............... ..

"अबे...ये आर्मी वाले..हमपे गोलियॉं क्यूँ बरसा रहे हैं..ओये फटाफट..दीवार फांदो ..और पोजीशन लो" इंस्पेक्टर बादल सिंह ने खुद चौकी की दीवार की ओट लेते हुए अपने सभी सिपाहियों से कहा
उधर सेना की वर्दी पहने चार लोग लगातार गोलियाँ चलाते चौकी के अंदर घुसे चले आ रहे थे..उन्होंने चौकी में किसी को न पाकर गुस्से में आकर चौकी को बम से उड़ा दिया और पास के एक मकान की तरफ दौड़ गए

" करमजीत..ये सेना के नहीं लगते..साले चेहरे मोहरे से तो अफगानी लगते हैं..तू फटाफट हेड क्वार्टर फोन कर फोर्स मंगा..इन बहन के टकों को मैं
जरा देखता हूँ " सिपाही से ये कहकर अपनी पिस्तौल निकाल बादल सिंह उन चारों के पीछे जाते हैं, करमजीत हेडक्वार्टर फ़ोन लगाने लगता है उधर उस मकान में छिपे लोग जब इंस्पेक्टर बादल को अपनी तरफ आते देखते हैं तो फिर से फायरिंग शुरू कर देते हैं इंस्पेक्टर किसी तरह खुद को बचा के वापस आता है इतनी देर में एस पी बलजीत सिंह फ़ोर्स लेकर आ जाते हैं और उस मकान को चारों ओर से घेर लेते हैं अब आतंकवादी उस मकान में फंस जाते हैं और गोलियों की बौछार दोनों तरफ से होने लगती है

पूरे देश में आग की तरह ये खबर फ़ैल जाती है कि पंजाब की पुलिस चौकी पे आतंकवादियों का दुस्साहसिक हमला,न्यूज़ चैनल पे ख़बरें दौड़ने लगती हैं फेसबुक ट्विटर व्हाटसएप पे तुषार सिंह जैसे सत्तारी लोग पोस्ट चेपने लगते हैं संसद में प्रश्न उठने लगते हैं प्रधानमन्त्री गृहमंत्री गोपनीय मीटिंग करने लगते हैं सेना भेजने का आदेश दिया जाता है उधर एस पी बलजीत सिंह स्थिति का पूरा जायजा लेकर अपने जवानो से कहते हैं " जवानो ये हमला हमपे हुआ है और इसका जवाब हम ही देंगे ,सेना आती रहेगी तब तक हम इन्हें इनकी बहत्तर हूरों से मिलवा चुके होंगे...सब तैयार ?"
"जी साब जी" सारे जवान अपने अपने हथियार से लैस होकर तेज आवाज में एक सुर से कहते हैं
एस पी बलजीत सिंह दो घंटे की मुठभेड़ के बाद तीन आतंकवादियों को मार गिराते हैं और चौथे को जिन्दा पकड़ लेते हैं और उसे सेना के हवाले कर देते हैं इस मुठभेड़ में न तो कोई पुलिस का जवान घायल हुआ न मरा और न ही किसी नागरिक को एक हलकी सी भी खरोंच आई ।
सेना उस चौथे बचे आतंकवादी से पक्के सबूत पा जाती है कि इसमें पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के हाफिज सईद का हाथ है ये सच जानकर प्रधानमन्त्री तुरंत कैबिनेट की मीटिंग बुलाते हैं जहाँ दस मिनट में ये सामूहिक निर्णय होता है कि जिस तरह अमेरिका ने पाकिस्तान में घुस कर लादेन को मार गिराया था उसी तरह हम भी देश की इज्जत पे हुए इस हमले का बदला लेते हैं
वायुसेना के 11 सर्वश्रेष्ठ फाइटर प्लेन पूरा असलहा और जरुरी सामान लोड कर पाकिस्तान पे वहाँ हमला करते हैं जहाँ हाफ़िज़ सईद छुपा होता है और चार घंटों में हाफिज सईद को मार कर उसका शव लाकर संसद भवन के सामने रख देते हैं और इस तरह देश की अस्मिता... ............. .. ... .............................................
क्या हुआ ?
कहानी सच्ची नहीं लग रही क्या ?
इतने सालों से नेताओं के बयानों से बहलते आ रहे हो.. इस बार मेरी कहानी से बहल जाओ..क्या फर्क पड़ता है.. कल से मन बहुत बेचैन है कलाम सर की खबर के बाद तो रात एक कौर भी नहीं निगला गया , सोचा मैं तो राइटर हूँ मनचाही कहानी लिख के अपना दिल तो बहला ही सकता हूँ तो हैप्पी एंडिंग की ये कहानी लिख ली है..जब खुद को बहलाना ही है तो अपनी मनचाही कहानी से बहलाऊँगा किसी नेता की कड़ी निंदा या ये हमला हम बर्दाश्त नहीं करेंगे से क्यूँ बहलूं ?
वो तो कलाम साब इतनी पुण्य आत्मा थे कि जाते जाते भी सरकार को राहत दे गए आतंकवादी हमले से लोग उनकी तरफ डाइवर्ट हो गए और सरकार ने कुछ चैन की सांस ले ली वरना इस बार जनता में कुछ आक्रोश तो था
चलो एक और तारिख जोड़ लेते हैं या याद कर लो विजय दिवस मनाने को हम भी चलते हैं अपने काम धंदे पे.....जिंदगी चलती रहती है चाहे कोई मरे कोई जिए........................।

-तुषारापात©™