मुझे अपनी माँ के हाथ की बनी सोया आलू की सब्जी (सोया मेथी वाला सोया) लेकिन बगैर मेथी के बहुत पसंद है जब तक उसका सीजन रहता है मैं बहुत चाव से उनसे बनवा के खाता रहता हूँ।
बस मेरी उनसे हर बार एक ही शिकायत रहती है कि वो उसमे आलू कम और सोया ज्यादा से ज्यादा रखें पर वो चाहें जितना भी कम आलू रखें ज्यादा ही हो जाता है,उनसे जब भी पूछता तो वो हँस के कहतीं पता नहीं कम तो करती हूँ पर बनने के बाद सब्जी में आलू ही आलू दिखता है सोया न जाने कहाँ गायब हो जाता है । मुझे एक समय ये तक लगने लगा की वो जानबूझ कर आलू तो नहीं डाल देतीं कि शायद कहीं उन्हें ऐसी ही सब्जी पसंद हो।
आख़िरकार इसके पीछे का कारण तलाशने का मैंने सोचा और उनसे पूछा की ऐसा क्यों हो जाता है ? बातों बातों में मुझे ये रहस्य समझ में आ गया जब उन्होंने ये बताया "बेटा तुम्हारे पापा को भी ये सब्जी बहुत पसंद थी पर वो इसमें आलू ज्यादा पसंद करते थे और अगर सोया ज्यादा हो जाये तो वो काफी गुस्सा हो जाते थे यहाँ तक कि खाना छोड़ के उठ जाया करते थे तो उनके हिसाब की सब्जी 40 साल से बनाते बनाते अब आदत ऐसी पड़ गयी है कि मैं चाहे जितना भी आलू कम करना चाहती हूँ कम कर नहीं पाती।"
फिर मैंने पूछा की नाना जी के यहाँ भी तो बनती होगी ये सब्जी वहाँ कैसी बनती थी आखिर आप मायके में इतने साल रही हैं वहाँ की भी कुछ आदतें रही होंगी ? उन्होंने कहा " नहीं वहाँ ये सब्जी बनती ही नहीं थी क्यूंकि तुम्हारे नाना जी को सोया आलू बिलकुल भी पसंद नहीं था, मैं और माँ कभी कभार मेरी मौसी मतलब तुम्हारी नानी की बहन के यहाँ जब जाते थे तो वहाँ सोया मेथी आलू की सब्जी खाने को मिलती थी जो हम दोनों को बहुत पसंद थी।"
इतना कहकर वो अपने किचेन के काम में लग गयी और मैं बस सोचता रह गया की माँ को सोया मेथी आलू पसंद है एक तो ये बात ही मुझे पता नहीं थी ऊपर से मैं उनसे इस उम्र में उनकी 40 साल से पड़ी आदत के विरुद्ध जाने की एक तरह से ज़िद करता रहा और तो और खुद माँ ने पिछले 40 सालों से अपनी पसंद की सोया मेथी आलू की सब्जी चखी भी नहीं।
शायद ये बात आपको बहुत छोटी लगे पर मेरे लिए ये बहुत ही सोचने वाली बात हो गयी पूरी रात मैं भावुक होकर सोया आलू की सब्जी और दीपिका पादुकोण की माय चॉइस में उलझा रहा।
सच में एक नारी स्वयं को अपने पिता के अनुसार फिर पति के अनुरूप और उसके बाद अपने बच्चों के हिसाब से अपने को कितनी सहजता से ढाल लेती है और उसके बाद भी अपने बच्चों के बच्चों के लिए भी वो एक नया रूप ले लेती है पर हम पुरुष ये बहुत ही महत्वपूर्ण बात कभी समझ ही नहीं पाते हम बस पिता,पति और पुत्र के रूप में उसपे अधिकार जमाते रहते हैं।
अब अगर आप कभी भी महिला अधिकार/बराबरी/आरक्षण की बात को समर्थन दें तो उसे संसद में उठाने/लागू कराने की बात से बहुत पहले अपने घर से शुरू करियेगा यकीन मानिये संसद में खुद ब खुद लागू हो जायेगा।
(आज फिर से सोया आलू की सब्जी घर में बनी है तो ये पुरानी पोस्ट आप सबके साथ शेयर कर रहा हूँ आप भी इसे निसंकोच शेयर कर सकते हैं इस सोये आलू से शायद हम जाग सकें ।)
-तुषारपात®™
बस मेरी उनसे हर बार एक ही शिकायत रहती है कि वो उसमे आलू कम और सोया ज्यादा से ज्यादा रखें पर वो चाहें जितना भी कम आलू रखें ज्यादा ही हो जाता है,उनसे जब भी पूछता तो वो हँस के कहतीं पता नहीं कम तो करती हूँ पर बनने के बाद सब्जी में आलू ही आलू दिखता है सोया न जाने कहाँ गायब हो जाता है । मुझे एक समय ये तक लगने लगा की वो जानबूझ कर आलू तो नहीं डाल देतीं कि शायद कहीं उन्हें ऐसी ही सब्जी पसंद हो।
आख़िरकार इसके पीछे का कारण तलाशने का मैंने सोचा और उनसे पूछा की ऐसा क्यों हो जाता है ? बातों बातों में मुझे ये रहस्य समझ में आ गया जब उन्होंने ये बताया "बेटा तुम्हारे पापा को भी ये सब्जी बहुत पसंद थी पर वो इसमें आलू ज्यादा पसंद करते थे और अगर सोया ज्यादा हो जाये तो वो काफी गुस्सा हो जाते थे यहाँ तक कि खाना छोड़ के उठ जाया करते थे तो उनके हिसाब की सब्जी 40 साल से बनाते बनाते अब आदत ऐसी पड़ गयी है कि मैं चाहे जितना भी आलू कम करना चाहती हूँ कम कर नहीं पाती।"
फिर मैंने पूछा की नाना जी के यहाँ भी तो बनती होगी ये सब्जी वहाँ कैसी बनती थी आखिर आप मायके में इतने साल रही हैं वहाँ की भी कुछ आदतें रही होंगी ? उन्होंने कहा " नहीं वहाँ ये सब्जी बनती ही नहीं थी क्यूंकि तुम्हारे नाना जी को सोया आलू बिलकुल भी पसंद नहीं था, मैं और माँ कभी कभार मेरी मौसी मतलब तुम्हारी नानी की बहन के यहाँ जब जाते थे तो वहाँ सोया मेथी आलू की सब्जी खाने को मिलती थी जो हम दोनों को बहुत पसंद थी।"
इतना कहकर वो अपने किचेन के काम में लग गयी और मैं बस सोचता रह गया की माँ को सोया मेथी आलू पसंद है एक तो ये बात ही मुझे पता नहीं थी ऊपर से मैं उनसे इस उम्र में उनकी 40 साल से पड़ी आदत के विरुद्ध जाने की एक तरह से ज़िद करता रहा और तो और खुद माँ ने पिछले 40 सालों से अपनी पसंद की सोया मेथी आलू की सब्जी चखी भी नहीं।
शायद ये बात आपको बहुत छोटी लगे पर मेरे लिए ये बहुत ही सोचने वाली बात हो गयी पूरी रात मैं भावुक होकर सोया आलू की सब्जी और दीपिका पादुकोण की माय चॉइस में उलझा रहा।
सच में एक नारी स्वयं को अपने पिता के अनुसार फिर पति के अनुरूप और उसके बाद अपने बच्चों के हिसाब से अपने को कितनी सहजता से ढाल लेती है और उसके बाद भी अपने बच्चों के बच्चों के लिए भी वो एक नया रूप ले लेती है पर हम पुरुष ये बहुत ही महत्वपूर्ण बात कभी समझ ही नहीं पाते हम बस पिता,पति और पुत्र के रूप में उसपे अधिकार जमाते रहते हैं।
अब अगर आप कभी भी महिला अधिकार/बराबरी/आरक्षण की बात को समर्थन दें तो उसे संसद में उठाने/लागू कराने की बात से बहुत पहले अपने घर से शुरू करियेगा यकीन मानिये संसद में खुद ब खुद लागू हो जायेगा।
(आज फिर से सोया आलू की सब्जी घर में बनी है तो ये पुरानी पोस्ट आप सबके साथ शेयर कर रहा हूँ आप भी इसे निसंकोच शेयर कर सकते हैं इस सोये आलू से शायद हम जाग सकें ।)
-तुषारपात®™