Tuesday 3 July 2018

बुढ़िया वांटेड है जो चरखा कातती है

आसमाँ पे चिपका है
एक गोल पोस्टर
बुढ़िया वांटेड है जो चरखा कातती है

रात काली पिस्तौल है
सन्नाटे का साइलेंसर लगा के
ख्वाबों को दागती है

दिल का फ्यूज
बार बार उड़ता है
कोई कोई ही सही करंट मारती है

प्यार के दाग अच्छे हैं
सफेद शर्ट को लिपस्टिक
आँख मारती है

दिल बड़ी 'चीज' है क्या
बड़े नाखूनों वाली उँगलियाँ
डबल चीज़ पिज्ज़ा रोज काटतीं हैं

उसके दाँत हैं
टाइपराइटर के फॉन्ट
लफ्ज़ छपते हैं मेरे गालों को जब काटती है

मेरी किस्मत
यूँ ही नहीं चमकी है
लेखनी रोज सितारों को स्कॉच ब्राइट से माँजती है

अच्छा लिखता है 'तुषार'
मगर कमेंट तुम वहीं करना
जो रोज़ एक नई फोटो डालतीं हैं

#तुषारापात®