Thursday 30 May 2019

रंग

तुमने तानी है गर्दन मज़हब के रंग पे मगर
'तुषार' लाल लहू ढोती नसों का रंग हरा है

#तुषारापात®

Friday 17 May 2019

पूर्णिमा को देखा

नीले हरे
एक लड्डू पे
हम चींटियों को बाँध रखा है
और ललचाने को
वर्क लगा एक लड्डू
उसने ऊपर टांग रखा है

#तुषारापात®

Sunday 12 May 2019

माँ

नहीं जानता
खाली बर्तन देख के
घर से निकलो तो
अपशगुन होता है

नहीं मानता
गंगाजल की दो कटोरियाँ
देख, बाहर जाओ तो
शुभ-शगुन होता है

जब किसी खास काम पे
जाना होता है मुझे
तो दही-चीनी
चटा दिया करती है

हाँ,अब कुछ कुछ समझा हूँ
आखिर क्यों
माँ,भरी आँखों से,मुझे
विदा किया करती है।

#तुषारापात®

Thursday 9 May 2019

हथेली का खाली तरकश

खाली हाथों को नहीं मिलती कोई कमान
ऐ खुदा हथेली के तरकश में तीरे मुकद्दर भर दे

#तुषारापात®

Saturday 4 May 2019

राइटर अब सोता है

अगर तुम्हें लगता है कि
सुबह अपने आप हो जाती है तो
तुमने कभी किसी राइटर की
टेबल नहीं देखी
मेरी मेज पर कई
कोरी डायरियाँ पड़ी हैं
अनगिनत सुबहें इनमें कैद हैं
एक डायरी उठा के
रात को उसमें भरने लगता हूँ तो
पन्नों से सफेदी खिसकने लगती है जो
इकठ्ठी होके सुबह बन जाती है
इस काम को मुझे लंबा और
उबाऊ बनाये रखना पड़ता है अगर
एक झटके से सारी रात
कलम के पतीले से
डायरी के हलक में उतार दी तो पता चला कि
तुम अभी सोए थे और अभी सवेरा हो गया
हाँ कभी थोड़ा कम तो
कभी बहुत ज्यादा लिखता हूँ
इसीलिए तुम्हारी हर सुबह का
टाइम एक सा नहीं रहता
जब कम लिखता हूँ तो
कई रातों तक लिखना
कम से कम करता जाता हूँ और
सफेदी कम रिहा कर पाता हूँ
वे रातें पिछली सर्दियों की
इसीलिए लंबी रह गयीं थीं
लेकिन आजकल अपना काम मैं
मन लगा के कर रहा हूँ
रातों को ज्यादा से ज्यादा
डायरियों में भर रहा हूँ
देखो ये रात भी लगभग मैंने
डायरी में पूरी कर दी है
जाग जाओ
डायरी की सारी सफेदी  रिहा हो चुकी है
एक बार फिर से तुम्हारी सुबह हो चुकी हो।

~तुषार सिंह #तुषारापात®

Thursday 2 May 2019

चचा से मुआफी के साथ

हजारों फॉलोवर्स ऐसे कि हर फॉलोवर पे दम निकले
बहुत निकले उनके लाइक्स मगर फिर भी कम निकले

कहाँ मोटी आँटी की लंगड़ी कविता और कहाँ बुद्धिजीवी
बस इतना जानते हैं वहाँ भी तुम्हारे दो दो कमेंट निकले

निकलना हाई कमिश्नरों का सुनते आए हैं दुश्मन देशों से
बड़े ब्लॉक हो के तेरी फ्रेंड लिस्ट से बाहर हम निकले

फेसबुक पे नहीं है लुत्फ अब साहित्य लिखने का
उसी को लोग पढ़ते हैं जो इंस्टा-गरम निकले

खुदा के वास्ते अँगूठा न पोस्ट पे लगा तुषार
कहीं ऐसा न हो यहाँ भी आधार का भरम निकले

~तुषारापात®