Monday 4 September 2017

पश्चिम का सूर्योदय

"शर्मा..बहुत बड़ी नादानी कर रहे हो...रिटायर हो चुके हो..यहीं रहो ये सब कुछ बेचके..कहाँ अपने लड़के के पास जा रहे हो..." गुप्ता जी ने अपने चालीस साल पुराने दोस्त शर्मा के इलाहाबाद से दिल्ली शिफ्ट होने के फैसले पे ऐतराज जताते हुए कहा

शर्मा जी मुस्कुराए और बोले "भाई गुप्ता..बच्चों के बगैर दिल नहीं लगता...जिंदगी के पूरे दिन तो उन्हें पालने पोसने में लगा दिए..अब जिंदगी की आखिरी कुछ शामें बच्चों और उनके बच्चों के साथ भी न बिताने को मिले तो क्या फायदा..वैसे भी अब हम और तुम्हारी भाभी दिन पर दिन कमजोर हो रहे हैं..बेटे के पास रहेंगे तो वो खयाल रखेगा रात बिरात दवा दारू के लिए भागना अब मुझसे नहीं हो पाता"

"भूल गए वो रमन लाल का क्या हश्र किया था उसके बेटे और बहू ने...वो भी तुम्हारी तरह सब कुछ बेच के गया था...खाली हाथ लौटा और अब दोनों बुढ्ढे बुढ़िया यहीं किराए पे रह रहे हैं" गुप्ता ने तीखे स्वर में ऐसे कहा मानो उन्हें कोई अपना पुराना जख्म याद आ गया हो

"नहीं भाई गुप्ता...मेरा बेटा ऐसा नहीं है...पता है जब उसकी नौकरी इंफोसिस में लगी थी...उसने हमारे पैर छूते हुए कहा था कि पापा..मम्मी ये आप लोगों के कारण ही मैं आज यहाँ पहुँचा हूँ..और मैं ये बात कभी भूल नहीं सकता कि आप लोगों ने कितनी तकलीफों से मुझे पाला है...गुप्ता..वो और मेरी बहू बहुत अच्छे हैं मुझे यकीन है वो हमारा ख्याल अच्छे से रखेंगे.." शर्मा जी थोड़ा भावुक होते हुए बोले

गुप्ता ने बुरा सा मुँह बनाते हुए कहा "मुगालते में हो शर्मा..ये आजकल के लड़के..बहुएं..माँ बाप को नौकर बना के रखते हैं...ऐसी बेतुकी बाते तुम मुझसे तो मत ही करो..अक्ल से काम लो..तुम पश्चिम में सूरज उदय होने जैसी बात कर रहे हो..पछताओगे एक दिन.."

"ठीक है यार कुछ हुआ तो तेरा घर तो रहेगा ही मेरे लिए..वैसे ये मेरे बेटे की नहीं..मेरे दिए संस्कारों की परीक्षा है..अब देखना है कि क्या मैं इसमें पास होता हूँ या फिर..." शर्मा जी गुप्ता से गले लगते हुए भावुक स्वर में बोले और फिर अपनी पत्नी के साथ दिल्ली के लिए निकल गए

आज शर्मा जी को दिल्ली आए एक साल हो गया है उनके बेटे बहू दोनों जॉब करते हैं..वे दोनों अपनी अपनी कंपनी में बहुत ऊँची पोस्ट पे पहुँच चुके हैं...शर्मा और उनकी पत्नी घर मे अपने  पोते के साथ खेलते जिंदगी की शामें सुख से बिता रहे हैं

"पापा..एक खुशखबरी है..मुझे कंपनी से बहुत बड़ा ऑफर मिला है..मैं अपनी कंपनी से छः महीने के लिए अमेरिका जा रहा हूँ...आई टी इंडस्ट्री में ये मौका बहुत कम लोगों को मिलता है..हाँ कहने से पहले सोचा आपसे पूछ लूँ " शर्मा जी के बेटे राघवेंद्र ने सबसे पहले ये खुशखबरी अपने पिता को सुनाई

शर्मा जी ने गदगद होते हुए कहा "वाह बेटा ये तो बहुत फक्र की बात है..तेरे पापा मम्मी तो कभी यू.पी के भी बाहर नहीं निकले...और हमारे बेटे को सीधे अमेरिका जाने का मौका मिल रहा है..सब जगदम्बा की कृपा है..जरूर जाओ बेटा"

राघवेंद्र अमेरिका चला जाता है उसके पीछे शर्मा जी की बहू वैदेही ने उनकी जिम्मेदारी बहुत अच्छी तरह से संभाल ली और तीन महीने यूँ ही बीत गए एक दिन शर्मा जी के बेटे का अमेरिका से फोन आता है

"पापा..आपको याद है एक बार संगम के मेले में..एक हवाई जहाज वाला बड़ा सा झूला लगा था...वो जिसका चार्ज एक आदमी के लिए दो रुपैये था उस वक्त..उसमें कई बच्चे अपने अपने पापा मम्मी के साथ बैठ के झूल रहे थे...मैंने भी आपसे जिद की थी कि मुझे आपके साथ बैठना है..पर आपने मुझे किसी और अंकल के साथ बिठा दिया था.. मैं झूले में तो बैठा था पर बाद में आपसे बहुत गुस्सा हुआ था कि आप साथ में क्यों नहीं बैठे थे..पर बड़े होके मुझे समझ आ गया था कि आपके लिए उस समय दो रुपैये भी बहुत होते थे" राघवेंद्र का गला रुंध आया,उसने आगे कहा "पापा मेरी अमेरिका से वापसी का समय पास आ रहा है...आप मना मत करना..मैंने वैदेही को सब समझा दिया है वो वीजा टिकेट वगैरह का इंतजाम कर लेगी..आप और मम्मी वैदेही और कुशेन्द्र के साथ अमेरिका घूमने आ जाओ..वापसी हम सब साथ मे करेंगे...मैं इस बार अपने मम्मी पापा के साथ सच के हवाई जहाज में बैठना चाहता हूँ" राघवेंद्र की बात सुनकर शर्मा जी के गाल आँसूओं से भीगे चले जा रहे थे..वैदेही उनके पास खड़ी थी उसे फोन पकड़ा के वो घर के मंदिर में माँ अम्बे के पास नयनों में भर आए जल का अर्पण करने चले गए

आखिर वो दिन भी आता है जब शर्मा जी सपरिवार अमेरिका में राघवेंद्र के पास पहुँच जाते हैं और रात में आराम करने के बाद वहाँ की पहली सुबह देख रहे होते हैं वो राघवेंद्र से इलाहाबाद गुप्ता का नंबर मिलाने को कहते हैं

"हेल्लो कौन? अरे..हाँ शर्मा..बोल कैसा है..सब ठीक तो है..बड़े दिनों बाद याद आई.." इलाहाबाद में संगम के पश्चिमी किनारे पर सूरज डुबोते हुए गुप्ता ने एक साँस में कहा

इधर शर्मा ने अमेरिका से कहा "सब ठीक है गुप्ता..अमेरिका में हूँ..अपने बेटे के साथ 'पश्चिम' में सूरज को उगता देख रहा हूँ।"

-तुषारापात®