Wednesday 4 September 2019

बेवफ़ाई

"मुझे चाँद ताकना बहुत पसंद है...बड़ी ठंडक मिलती है..लोग चाँद के धब्बों पर कुछ भी कहें पर मुझे तो ये किसी की गई खूबसूरत कारीगिरी लगती है.. देखो कितना सुंदर लग रहा है पूर्णिमा का चाँद!"

"सुन्दर तो दोपहर का सूरज होता है जो अपने पूरे शबाब पर होता है.. पर कोई उससे जलके छुरा मार जाता है और वह दर्द से ढुलकने लगता है.. शाम को देखो कैसे लहूलुहान सूरज की लाली पूरी धरती पर फैल जाती है.. पर किसे फर्क पड़ता है..लोग शाम होने का जश्न मनाते हैं.. मैं चाँद नहीं देखता कभी... मुझे वह उसी खंज़र की मूठ लगता है जिसे सूरज की पीठ में घोंपा गया था.. और मैंने देखा है कि जानलेवा खंजरों की मूठ पे बहुत खूबसूरत नक्काशी हुई होती है।"

~तुषार सिंह #तुषारापात®
( मेरी लंबी कहानी 'बेवफ़ाई से)