Friday 30 June 2017

वसुधंराम्बर

"आप दोनों की सारी बातें मैंने सुनी...ठीक है मैं आपकी तलाक की अर्जी ले लेता हूँ पर आप दोनों को एक महीने का समय देता हूँ...एक बार फिर अच्छे से सोच लीजियेगा.. ओके.. मिस्टर अम्बर.. एंड.. मिसेज वसुंधरा...'गुप्ता' ." जज ने वसुंधरा के नाम के साथ गुप्ता पे ज़ोर देते हुए कहा

अम्बर ने धीरे से सहमति में सर हिलाया पर वसुंधरा ने ये सुनते ही तपाक से कहा "लेकिन सर..हमारे बीच अब सुलह की कोई सूरत नहीं है..तो..तो ये एक महीने का टाइम खराब करने से क्या फायदा..इस शख्स ने कभी मेरा ख्याल नहीं रखा..और वैसे भी हम दोनों पिछले सात महीनों से अलग अलग ही रह रहें हैं तो फिर अब ये एक महीना और क्यों?"

"मिसेज गुप्ता..आप यहाँ अदालत में कैसे आती हैं..आई मीन..टैक्सी से..बस से या स्कूटी से..?"

वसुंधरा इस अजीब से प्रश्न से थोड़ा सा हैरान हुई पर जज के पूछने पे जवाब तो देना ही था तो बोली "जी पहले टैक्सी से आती थी पर अब अपनी कार से आती हूँ.."

"खुद ड्राइव करके?"जज ने पूछा

"नहीं...अभी कुछ दिन पहले ही ड्राइवर रखा है..वो ही चलाता है" वसुंधरा ने कहा

"हम्म..मतलब जब आप दोनों साथ थे..और कहीं जाते थे..तो मिस्टर अम्बर ड्राइव करते थे.." जज ने उससे पूछा

"ह.हाँ." वसुंधरा ने अनमने मन से उत्तर दिया

जज ने एक नज़र अम्बर पर डाली और फिर वसुंधरा से मुख़ातिब हुआ "मतलब आपने कभी कार चलाना सीखने की जरूरत नहीं समझी.. खैर वो बात जाने देते हैं..एक बात बताइए ये बोतल में क्या है?" जज ने उसके हाथ मे पकड़ी बोतल की ओर इशारा करते हुए पूछा

"मुझे समझ नहीं आ रहा कि इन सवालों का मेरे तलाक़ से क्या लेना देना है.." वसुंधरा का सब्र टूट गया और उसने खीज के साथ कहा

"वो क्या है मिसेज 'गुप्ता' मैं यहाँ सुलह कराते कराते बोर हो जाता हूँ..तो सोचा थोड़ा मनोरंजन कर लूँ" जज ने सपाट स्वर में उससे कहा तो वसुंधरा ने उसके व्यंग्य को समझते हुए जल्दी से उत्तर दिया "बॉटल में.प.पानी है..सर..मुझे प्यास ज्यादा लगती है..गर्मी भी बहुत.."

जज ने उसकी बात बीच में ही काटते हुए कहा..कभी ऐसा हुआ है कि आप कार से कहीं जा रहीं हों..और चलते चलते..मतलब कार ड्राइवर चला रहा हो आप कार में बैठी हों और आपने पानी पिया हो..?"

"हाँ..कई बार हुआ है..इवन आज भी यहाँ आते हुए..काफी सारा पानी मेरे ऊपर छलक भी.....गया था" वसुंधरा बताते बताते रौ में कह गई पर उसे लगा कि ये क्या बताने लगी तो आखिरी के दो शब्द उसने धीरे से कहे

जज उसे देखकर मुस्कुराया और अम्बर की ओर इशारा करते हुए बोला "मिसेज गुप्ता..आपकी सात साल की शादीशुदा लाइफ में कभी ऐसा हुआ कि ये..ड्राइव कर रहे हों और आपने पानी पिया हो..और पानी बोतल से छलक के आप पर गिरा हो..?"

वसुंधरा इस प्रश्न पे चुप रह गई ऐसा कभी नहीं हुआ था क्योंकि जब भी वो पानी पीती थी तो अम्बर कार की स्पीड उसके हिसाब से एडजस्ट कर लेता था,उससे कुछ बोलते नहीं बना तो जज ने आगे कहा "हम अक्सर बड़ी बड़ी चीजों को देखते हैं कि हमारा उसने ख्याल नहीं रखा..कम्प्लेंट करते हैं..पर छोटी छोटी ख्याल रखने वाली बातों को नज़रंदाज़ कर जाते हैं..ये एक महीना आप दोनों को ऐसी ही कुछ बातों को याद करने के लिए दिया गया है"

दोनों उठकर चले जाते हैं तो जज अपने सहयोगी से कहता है "धरा सर के ऊपर के आकाश को दूर देखती है क्योंकि अहम के कारण उठी गर्दन उसे क्षितिज नहीं देखने देती जहां अम्बर धरा पे झुका रहता है।"

-तुषारापात®

Wednesday 28 June 2017

हाज़मोला

हाज़मोला: करोड़ों की लूट करने वाले का कुछ हज़ार का दान।

-तुषारापात®

बुद्धिजीवी

बुद्धिजीवी: जो सिगरेट पीते पीते बता देता है कि अगरबत्ती के धुएं से वायु प्रदूषण होता है।

-तुषारापात®

Sunday 25 June 2017

ईद उल फ़ित्र

मायूसियों की बू पे चढ़ता नहीं अब उम्मीद का इत्र
अयूब के कुनबे से कहूँ कैसे मुबारक ईद-उल-फ़ित्र

-तुषारापात®

Tuesday 20 June 2017

चश्मों के बाँध

देखकर गैर के काले मनकों में उसकी नथ का सफेद मोती
आँखों की उमड़ती नदी पे हमने चश्मों के काले बाँध रख लिए

-तुषारापात®

परिक्रमा

युक्ति भक्ति और शक्ति में
नहीं रहा द्वंद्व
कलियुग में कृतयुग की
कथा का संबंध?
शक्ति से भक्ति का
रच सकता जो प्रपंच
चाटुकारिता की युक्ति से
तोड़े वो सब बन्ध
आदर्शों के वचनों को
कहने वाला तू
एकाकी कर दिया जाएगा
आकाश की ओर
क्या ताकता?
वह पहले ही से
कथा वाचता
कर रमा-रमापति की परिक्रमा
उमा-नंदन प्रथम पूजन पाते हैं
पूरी पृथ्वी मापित करने वाले
कार्तिकेय श्रापित से रह जाते हैं।

-तुषारापात®

Monday 12 June 2017

ऑफिसियल मेल


"कुछ कहना होता तो व्हाट्सएप्प नहीं एक मेल आता...कंपनी जॉब इंटरव्यू के रिजल्ट्स व्हाट्सएप्प पे नहीं बताती" उसका रूखा सा रिप्लाई आया

"सुमैरा..मुझे पता नहीं था कि तुम वहाँ की बॉस.." मैं अधूरा ही मैसेज भेज सका

"अब व्हाट्सएप्प मत करना.." उसने रिप्लाई किया और मुझे ब्लॉक कर दिया

अगले दिन अजीब सा ऑफिसियल मेल आया...रिजेक्टेड!.. रिजेक्टेड!... रिजेक्टेड!

मुझे सुमैरा को सात साल पहले कहे अपने शब्द याद आ गए "तलाक!..तलाक!..तलाक!..।"

-तुषारापात®

Monday 5 June 2017

खुले खत का लिफाफा

नज़र की धार से
खुले ख़त का लिफाफा
गलत ही सही
काट तो दो कभी
सही के दो निशान
कब से यहाँ
नीले होने को तरसते हैं

#√√#तुषारापात®