Saturday 26 August 2017

आस्था की आँखें

"बाबा जी..बाबा जी नमस्ते...मेरे पति बहुत बीमार हैं..अपना आशीर्वाद हमे प्रदान करें..बाबा जी उन्हें जल्दी से अच्छा कर दीजिए" माइक पकड़ते ही आस्था ने रोते रोते बाबा जी के दरबार मे गुहार लगाई, बाबा हजारों भक्तों की गोलाकार भीड़ से कोई दो सौ मीटर की दूरी पर बने एक ऊँचे सिंहासननुमा आसन पे बैठे थे उनकी सफेद रंगी दाढ़ी जो कि वास्तव में काली थी उनके चारों ओर लगे स्टैंडिंग एसीयों  की ठंडी हवा से हल्के हल्के उड़ रही थी आस्था की पुकार सुनते ही वो अपनी बड़ी गोल आँखों से उसे देखते हुए रटे रटाये शब्द बोलते हैं "चिंता मत कर बेटी...सब ठीक होगा..कल्याण होगा"

आस्था रुआंसे स्वर में बोली "बाबा जी..उनका बड़े डॉक्टर के पास इलाज चल रहा है डॉक्टरों का कहना है आधे आधे चांस हैं..आपकी कृपा हो जाती तो.." अभी वो अपनी बात पूरी कर भी नहीं पाती है कि पास खड़े बाउंसर टाइप का शख्स उसके हाथ से माइक छीन के दूसरे व्यक्ति को थमा देता है बाबा आस्था के लिए आशीर्वाद की मुद्रा में अपना दायाँ हाथ उठाते हैं और अगले ग्राहक मतलब भक्त की ओर चेहरा कर लेते हैं

पाँच हजार रुपये 'दान' करके वह अस्पताल में अपने पति के पास आती है उसका पति विश्वास कुछ बोलने की स्थिति में नहीं है,विश्वास के बेड के पास बैठे उसके ससुर सेठ सूरदास ने उससे कहा "बहू..हो आई बाबाजी के पास क्या कहा उन्होंने..वैसे तो मैं ही जाता उनके दर्शनों को..पर सुना है वो औरतों की फरियाद जल्दी सुनते हैं..तो तुझे भेजा था.. जल्दी ही उनके आशीर्वाद से विश्वास ठीक हो जाएगा .. हाँ..ये साले डॉक्टर पता नहीं क्या ऑपरेशन वगैरह बता रहे हैं..चल तो मेरे साथ जरा डॉक्टर विवेक के पास"

वह अपने ससुर के साथ डॉक्टर के केबिन में पहुँचती है कुछ देर इंतजार करने के बाद वो और उसके ससुर डॉक्टर विवेक के सामने बैठे हुए थे

उसके ससुर ने डॉक्टर से पूछा "कौन सा ऑपरेशन बता रहे थे आप?"

"देखिए सूरदास जी..आपके बेटे की स्प्लीन से खून रिस रहा है इसके लिए हमे एक विशेष तरह का ऑपरेशन करना पड़ेगा जिसमें उसकी पैर की नस के रास्ते एक पतला तार डाल कर स्प्लीन में खून बहने की जगह को ब्लॉक किया जाता है" अनुभवी और बेहद ईमानदार बड़े डॉक्टर विवेक ने उन्हें एम्बलॉइज़ेशन को सरल शब्दों में समझाते हुए कहा

"इस ऑपरेशन की कितनी गारंटी है? मतलब इसके बाद विश्वास ठीक तो हो जाएगा ?

"अब गारंटी तो मैं नहीं ले सकता मगर 90 फीसदी केसेस में मरीज पूरी तरह ठीक हो जाता है"

"पैसा कितना लगेगा डॉक्टर साहब" सेठ ने सीधे स्वर में डॉक्टर से पूछा

"अ..जी देखिए ये थोड़ा महँगा ऑपरेशन है पहले तो इसमें लाखों रुपये लगते थे पर अब ये काफी सस्ता हुआ है ..आपके केस में एक लाख पचीस हजार के आसपास लगेगा ये मान के चलिए..."

आस्था जानती थी कि ये उसके धनाढ्य परिवार के लिए कोई खास रकम नहीं है तो जल्दी से हाँ कहने वाली थी पर उसके ससुर ने उसे चुप रहने का इशारा कर डॉक्टर से कहा "ये तो बहुत ज्यादा है..डॉक्टर साहब कुछ गुंजाइश हो जाती तो.. "

"ठीक है अगर आपको पैसों की दिक्कत है तो मैं अपनी फीस छोड़ देता हूँ..आप एक लाख जमा कर दीजिए..." डॉक्टर विवेक ने उनसे यह कहा एक पर्चा लिखा और अपने काम मे व्यस्त हो गया

सेठ जी डॉक्टर के केबिन से निकलते ही आस्था से बोले "देखा बहू कैसे इन कांइयां डॉक्टरों को सीधा किया जाता है..ला ये पर्चा मुझे दे..और तू विश्वास के पास जाकर बैठ..मैं रुपैया जमा करा के आता हूँ"

अगले दिन विश्वास का ऑपरेशन होता है और वो सफल रहता है चार दिनों के बाद उसे अस्पताल से छुट्टी मिल जाती है सेठ सूरदास उसे लेकर बाबा जी के आश्रम पहुँचते हैं और बाबा के चरणों मे गिरकर कहते हैं "बाबा जी ये मेरा बच्चा विश्वास आपकी ही कृपा से ठीक हुआ है..आपकी सदा जय हो..."

"तुम्हारी बहू नहीं आई" बाबा ने अपनी दाढ़ी सहलाते हुए पूछा

"जी वो जरा...इन दिनों..अशुद्ध...मतलब बीमार है" विश्वास ने सकुचाते हुए कहा

इसी बीच सेठ सूरदास ने अपने बैग से 2000 के 25 नोटों की एक गड्डी निकालकर बाबा की ओर बढ़ाई "एक भक्त की ओर से ये छोटी सी भेंट स्वीकार करें"

बाबा ने आशीर्वाद देने को बढ़ाया अपना हाथ पीछे करते हुए कहा "न न बच्चा..हम माया को हाथ भी नहीं लगाते..ये सहजयोगी परमानंद जी को दे दो" सेठ जी ने पास खड़े उनके सहयोगी को नोटों की गड्डी दे दी बाबा ने आशीर्वाद की मुद्रा में अपना दायाँ हाथ ऊपर उठाते हुए कहा "अगली बार अपनी बहू को भी आशीर्वाद हेतु अवश्य लाना"

"जी बाबा जी" डॉक्टर की 'कांइयांगिरी' पकड़ने वाले चतुर सेठ ने यहाँ कोई प्रश्न न किया और बाबा के चरणों में अपना और अपने पुत्र का मत्था टेक दिया।

आस्था और विश्वास जब विवेक का साथ छोड़ते हैं तो सूरदास हो जाते हैं।

-तुषारापात®