Tuesday 25 April 2017

कार और बैसाखी

"सिगरेट महंगी हो जावे...सिगरेट महंगी हो जावे.."मंदिर के बाहर बैठा एक विकलांग बूढ़ा ये बड़बड़ाए जा रहा था

अनुराग अपनी कार से उतरा और मंदिर के गेट पे बैठे उसी बूढ़े को 28 रुपए देकर वापस आया और अपनी कार स्टार्ट कर रहा था कि उसके साथ आया उसके ऑफिस का दोस्त राजीव बोला "यार अनुराग कई दिनों से पूछना चाहता था..ये तू...रोज आफिस से लौटते वक्त इस बूढ़े को 28 रुपए क्यों देता है..ये चक्कर क्या है यार..?"

हँसते हुए उसने जवाब दिया "वो क्या है कि पहले मुझे सिगरेट पीने की बहुत बुरी लत थी...फिर एक दिन किसी ने बताया कि एक सिगरेट आपकी जिंदगी के 10 मिनट कम कर देती है..सोचा अगर मुझे कुछ हो गया तो मेरे परिवार का क्या होगा..तो मैने पीनी छोड़ दी...काफी मुश्किल हुई..मगर किसी तरह छोड़ ही दी मैंने..रोज चार सिगरेट पीता था..तो अब उन्हीं चार सिगरेट का पैसा इस बेचारे बूढ़े को दे देता हूँ..शायद इन पैसों से उसकी जिंदगी में चालीस मिनट खुशी के आ जाते होंगे..और मेरी जिंदगी के चालीस मिनट तो बच ही जाते हैं "

"ओह्ह..समझा..मगर मुझे याद है..अभी कुछ दिन पहले तक तो तू इसे 20 रुपए ही दिया करता था फिर अब 28..." राजीव ने बूढ़े को देखते हुए कहा

अनुराग ने पहला गेयर डालते हुए कहा "अरे इस बजट में सिगरेट महंगी जो हो गई है" और हँसते हुए कार बढ़ा देता है उधर वो बूढ़ा जिसे रुपए मिले थे कार जाते देख उठता है और किसी तरह बैसाखी के सहारे घिसटते हुए पान की दुकान पे पहुँच के बीड़ी का बंडल माँगता है पान वाला उससे कहता है "बाबा बहुत बीड़ी पीते हो तुम..रोज चार पांच बंडल यूँ ही पीते रहे तो जल्दी ही मर जाओगे.."

बूढ़ा हँसता है और उससे पूछता है "ये चार बंडल से मौत चालीस मिन्ट और नजदीक आ जाती है...ई बात तो पक्की है न?"

अजीब नजारा था कार से चलने वाला जिंदगी का सफर धीरे धीरे काटना चाहता था और बैसाखी पे चलने वाला बहुत जल्दी में था।

#तुषारापात®