Monday 19 March 2018

समाधान की उपपत्ति

"मतलब मैं ये मान लूँ कि मेडिकल साइंस के पास मेरा कोई इलाज नहीं है..सिवाय..इन नींद की गोलियों के" उसने मेडिकल रिपोर्ट्स को फाइल में लगभग ठूँसते हुए डॉक्टर से झुंझलाके कहा

सीनियर डॉक्टर विकल्प वर्मा व्यावसायिक मुस्कान चेहरे पे लाते हुए उससे बोले "वेल..मिस्टर समाधान मेडिकल साइंस किसी डिसीज का क्योर करती है..वहम का..अरर..अ..आपकी तो सारी रिपोर्ट्स नार्मल हैं..कहीं कोई ऐसी बात पकड़ में नहीं आयी जिससे पता चले कि आखिर क्यों आप सही से नींद नहीं ले पाते"

समाधान काफी समय से सही से सो नहीं पा रहा था ऑफिस से थका मांदा होने पर भी रात रात भर करवट बदलता रहता था ,गहरी नींद उसके लिए ऐसे हो गई थी जैसे गूलर का फूल,सुबह उठता था तो उसके पूरे बदन में दर्द रहता था उसकी ऐसी हालत देख के उसकी पत्नी उपपत्ति ने लगभग उसे धकेल के डॉक्टर के पास दिखाने भेजा था और तब से वो डॉक्टरों और उनकी तरह तरह की रिपोर्ट्स में उलझ के अब थक सा चुका था उसे समझ नहीं आ रहा था कि डॉक्टर उसकी इस छोटी सी बीमारी को पकड़ क्यों नहीं पा रहे हैं।

डॉक्टर विकल्प आगे बोले "देखिए एम आर आई तक मे कुछ नहीं आया..मुझे लगता है कि आपकी परेशानी फिजिकली न होकर मेंटली है...आप एक काम करिये किसी अच्छे साइकेट्रिस्ट को कंसल्ट करिये.. आप चाहें तो मैं आपको रेफर कर देता हूँ..यू मस्ट कंसल्ट टू डॉक्टर संकल्प.."

डॉक्टर से मनोचिकित्सक का नाम पता लेकर समाधान घर आता है और पत्नी उपपत्ति को सारी बात बताता है उपपत्ति उसकी बात सुन कहती है "अगर आप बुरा न माने तो एक बात कहूँ..वो कुंजी बुआ कह रहीं थीं..कि..कि..कहीं कोई ऊपरी बात तो नहीं.." उपपत्ति रुक कर पहले समाधान के चेहरे के भाव देखती है और पाती है कि वो ये बात सुनकर शांत है तो आगे की बात जल्दी जल्दी कह डालती है "  मैंने आपको पहले कभी बताया नहीं..कहा भी नहीं..पर आप जैसी परेशानियाँ मुझे भी होती रहीं हैं..शायद कोई बला वला हो..कुंजी बुआ बता रहीं थीं कि वो गुजरात में.. वो.. बाबा जी धाम है न..वहाँ.. वहाँ दर्शन करने से कैसी भी ऊपरी बाधा वगैरह हो..सब दूर हो जाती है..और वैसे भी आप पिछले पंद्रह सोलह साल से कहीं बाहर निकले भी नहीं हैं..इसी बहाने थोड़ी सैर.."

"उधर वो नालायक डॉक्टर कहता है कि मेरा दिमाग खराब है और इधर तुम कुंजी बुआ की अला बला बातें करके और दिमाग खराब कर रही हो..जाओ जरा चाय बना के लाओ..यार..क्या..क्या सुनना पड़ रहा है.." समाधान ने उसकी बात बीच में काटी और जूते मोजे उतार के हाथ मुँह धोने चला गया।

फिर कुछ महीने मनोचिकित्सक डॉक्टर संकल्प की संकल्पनाओं में समाधान फँसा रहा,मनोचिकित्सक ने उसकी नींद की दवा बंद करवा कर उससे तमाम बातें पूछीं कि कोई कर्ज़ की चिन्ता तो नहीं,रुपया पैसा फँसा होना,कोई सदमा, पुरानी बातें,कोई अधूरी इच्छा,अधूरा इश्क, मकान गाड़ी खरीदने या बेचने का या उससे जुड़ा कोई झंझट, बच्चों के भविष्य की चिंता, ऑफिस में कोई प्रेम प्रसंग,प्रोमोशन डिमोशन का खेल, नामर्दी, शीघ्रपतन आदि आदि ऐसी अनेकों बातों का जवाब जब नहीं में आया तो साइकेट्रिस्ट ने उसे अच्छी नींद लेने के कई तरीके सुझाए पर कोई उपाय काम नहीं आया और तब तक कुंजी बुआ का दबाव भी उसपर काफी हो चुका था तो समाधान को ऊपर नीचे की अलाएं बलाएं न मानते हुए भी उपपत्ति के साथ बाबा जी धाम जाना पड़ ही गया।

बाबा जी धाम वो लोग रात आठ बजे के आसपास पहुँचे थे तब तक दर्शनों का समय समाप्त हो चुका था समाधान ने पहले से ही धाम के पास के एक होटल में कमरा बुक करवा लिया था प्लान ये था कि रात भर आराम करके सुबह सुबह दर्शन आदि कर लिए जाएंगे।

होटल के कमरे में समाधान और उपपत्ति फ्रेश हुए और रूम सर्विस को फोन कर खाना आर्डर किया और लेट के खाना आने का इंतजार करने लगे बीस पच्चीस मिनट के बाद खाना आया सर्विस बॉय ने बेल बजाई तो उपपत्ति ने समाधान से कहा " देखिए शायद खाना आ गया है.. दरवाजे पे कोई है.." उपपत्ति की बात पर समाधान की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई तो उसे आश्चर्य हुआ उसने एक बार और कहा पर इस बार भी कोई प्रतिक्रिया नहीं,बेड के दूसरी ओर आकर उसने जब देखा तो पाया कि समाधान गहरी नींद में सो रहा है और हल्के हल्के खर्राटे भी ले रहा है  उसने पहले तो सर्विस बॉय से खाना लेकर उसे चलता किया और फिर से समाधान को सोते हुए देखने लगी, उपपत्ति की खुशी का तो ठिकाना ही नहीं था, उसने मन मे सोचा कि कुंजी बुआ ने क्या खूब जगह बताई कि धाम से एक डेढ़ किलोमीटर दूर ही इनपे इतना असर हुआ है, उसने समाधान को सोने दिया और थोड़ा बहुत खाना खाकर वो भी लेट गई।

सुबह के दस बजे नहा धोकर तैयार हुई उपपत्ति समाधान को खुशी खुशी जगा रही थी "उठो भी कितना सोएंगे..दर्शनों को भी तो चलना है..चाय भी आ गई है.. उठ जाइये.."

समाधान अँगड़ाई लेते हुए उठता है और चौंक के कहता है "अरे ये कैसे..मैं इतनी देर तक..सोता..कैसे सोता रहा..खाना..खाया..अरे आज तो बदन दर्द भी न के बराबर है.."

उपपत्ति उसे चाय की प्याली देते हुए कहती है "सब धाम का चमत्कार है..चलिए अब जल्दी से नहा लीजिये"

समाधान उसके हाथ से चाय की प्याली लेकर एक ओर रख थोड़ी देर कुछ सोचता है और फिर अचानक से बेड से उतर के पलंग पे बिछी चादर हटा के कुछ ढूँढने लगता है उपपत्ति उसे ऐसा करते देख कहती है "अरे..अरे..अब ये क्या करने लगे..चलो भी..चाय पीकर..तैयार हो जाओ..देर हो रही है दर्शन के लिए चलना है"

"अब यहाँ तक आए हैं तो चल भी लेंगे ..पर..अब दर्शन करने की जरूरत नहीं रही..वैसे अगर तुम पहले मुझे बता देतीं कि तुम्हें भी सही से नींद नहीं आती थी तो यहाँ तक भी आना नहीं पड़ता" समाधान रहस्मयी ढंग से मुस्कुरा के उससे कहता है और पलंग पे बिछे गद्दे की कंपनी का नाम अपने मोबाइल में नोट करने लगता है।

यदि समाधान के साथ उपपत्ति का भी ज्ञान हो तो किसी कुंजी की आवश्यकता नहीं पड़ती।

~तुषार सिंह #तुषारापात®