आकाश है ओढ़े सुरमई कालिमा
धरती पर छाई यौवन की हरीतिमा
श्रावण की चंचल बरखा में
मिलन को तरसे मन प्रियतमा
छा जाए जब मेघों की कालिमा
देखूँ मैं तुम्हारे मुख का चंद्रमा
साथ तुम्हारे है देखनी मुझे
उगते सूर्य की भी लालिमा
नयन कटारी तीक्ष्ण करता सुरमा
कपोलों पे लाज की लालिमा
आलिंगन में जब भर लूँ तुम्हें
कहो बड़े चंचल हो बालमा
बाँहों में भर लूँ तुम्हें सुमध्यमा
लांघ जाऊँ समस्त बंधन सीमा
तुम्हारे अधरों की कमनीय बाँसुरी पे
प्रेम का स्वर फूँकू मैं पंचमा
-जब तुषारापात सिर्फ तुषार था (किशोरावस्था की कविता)
धरती पर छाई यौवन की हरीतिमा
श्रावण की चंचल बरखा में
मिलन को तरसे मन प्रियतमा
छा जाए जब मेघों की कालिमा
देखूँ मैं तुम्हारे मुख का चंद्रमा
साथ तुम्हारे है देखनी मुझे
उगते सूर्य की भी लालिमा
नयन कटारी तीक्ष्ण करता सुरमा
कपोलों पे लाज की लालिमा
आलिंगन में जब भर लूँ तुम्हें
कहो बड़े चंचल हो बालमा
बाँहों में भर लूँ तुम्हें सुमध्यमा
लांघ जाऊँ समस्त बंधन सीमा
तुम्हारे अधरों की कमनीय बाँसुरी पे
प्रेम का स्वर फूँकू मैं पंचमा
-जब तुषारापात सिर्फ तुषार था (किशोरावस्था की कविता)