उसे देख के अजीब सा एहसास है
एक आँख में पानी एक में प्यास है
-तुषारापात®
तुषार सिंह 'तुषारापात' हिंदी के एक उभरते हुए लेखक हैं जो सोशल मीडिया के अनेक मंचों पे बहुत लोकप्रिय हैं इनके लिखे कई लेख, कहानियाँ, कवितायें और कटाक्ष सभी प्रमुख हिंदी अख़बारों में प्रकाशित होते रहते हैं तथा रेडियो fm पर भी कई कार्यक्रमो के लिए आपने लिखा है। कुछ हिंदी फिल्मों के लिए आप स्क्रिप्ट भी लिख रहे हैं। आप इन्हें यहाँ भी पढ़ सकते हैं: https://www.facebook.com/tusharapaat?ref=hl
उसे देख के अजीब सा एहसास है
एक आँख में पानी एक में प्यास है
-तुषारापात®
उसे दो ऑप्शन दिए गए-दो उँगलियों और एक अँगूठे से या तो कलम पकड़ने का या फिर रोटी तोड़ने का, उसने कौन सा ऑप्शन चुना पता नहीं..उसकी आत्मकथा में आगे कुछ भी लिखा नहीं मिला।
~तुषारापात®
जी चाहता है कि याद करें वो इतनी शिद्दत से
साँस लेना दूभर हो जाए इतनी आएं हिचकियाँ
बाद मरने के हो जाएं आसमाँ के बादल हम
और उनके याद करने से कड़काएँ बिजलियाँ
#तुषारापात®
सब्र की छत पे शायद अब पानी मरने लगा है
बारिशों से दीवारों पे उसका चेहरा बनने लगा है
#तुषारापात®
दीवारों के
मुँह नहीं होते
तो बात फैलती कैसे है?
आदमी को बाँट के
खुद मिल के
दो दीवारें
एक हो जातीं हैं
मेरे कमरे की
दीवार का दूसरा कान
पड़ोसी के कमरे में लगा है
दीवारें
एक कान से सुनतीं
और दूसरे से निकाल देतीं हैं
दीवारों के
मुँह नहीं होते
तो बात फैलती ऐसे है।
#तुषारापात®
किसी के साये में महफूज़ रहने वाले जान ले जरा
परछाइयों के वजूद के लिए कोई सुलगता भी है
#तुषारापात®
आसमाँ पे चिपका है
एक गोल पोस्टर
बुढ़िया वांटेड है जो चरखा कातती है
रात काली पिस्तौल है
सन्नाटे का साइलेंसर लगा के
ख्वाबों को दागती है
दिल का फ्यूज
बार बार उड़ता है
कोई कोई ही सही करंट मारती है
प्यार के दाग अच्छे हैं
सफेद शर्ट को लिपस्टिक
आँख मारती है
दिल बड़ी 'चीज' है क्या
बड़े नाखूनों वाली उँगलियाँ
डबल चीज़ पिज्ज़ा रोज काटतीं हैं
उसके दाँत हैं
टाइपराइटर के फॉन्ट
लफ्ज़ छपते हैं मेरे गालों को जब काटती है
मेरी किस्मत
यूँ ही नहीं चमकी है
लेखनी रोज सितारों को स्कॉच ब्राइट से माँजती है
अच्छा लिखता है 'तुषार'
मगर कमेंट तुम वहीं करना
जो रोज़ एक नई फोटो डालतीं हैं
#तुषारापात®