वो एक बुत के मानिंद लिपटा था कफन से
उसके वारिस अपना अपना हक़ जता रहे थे
जिनको देता था वो रोज बस मुठ्ठी भर दाने
वो परिंदे रो रो कर उसका कद बता रहे थे
-तुषारापात®™
उसके वारिस अपना अपना हक़ जता रहे थे
जिनको देता था वो रोज बस मुठ्ठी भर दाने
वो परिंदे रो रो कर उसका कद बता रहे थे
-तुषारापात®™