हम मस्जिद से क्या जुदा हो गए
इबादती सारे खुद खुदा हो गए
लड़खड़ातें हैं जो एक जाम में
उनके अपने मयकदा हो गए
तुम्हारी बातों में लगता है दिमाग कहकर
वो किसी कमअक्ल पे फिदा हो गए
खींचते हैं कागज पे तिरछी लकीरें
और उस्ताद-ए-फन-ए-रेख़्ता हो गए
लिखने वालों की इक भीड़ सी लगी है
'तुषार' तुझे पढ़ने वाले लापता हो गए
#तुषारापात®™
इबादती सारे खुद खुदा हो गए
लड़खड़ातें हैं जो एक जाम में
उनके अपने मयकदा हो गए
तुम्हारी बातों में लगता है दिमाग कहकर
वो किसी कमअक्ल पे फिदा हो गए
खींचते हैं कागज पे तिरछी लकीरें
और उस्ताद-ए-फन-ए-रेख़्ता हो गए
लिखने वालों की इक भीड़ सी लगी है
'तुषार' तुझे पढ़ने वाले लापता हो गए
#तुषारापात®™