Saturday 14 October 2017

खुली किताब

भरी जवानी में पति चल बसा है उसका
मोहल्ले के कुछ 'हमदर्द' मर्द तैयार बैठे हैं

खुली किताब के पन्ने कभी तो फड़फड़ाएंगे, नोचे जाएंगे।

-तुषारापात®