Wednesday 6 April 2016

सूखी नदी

किसी ज्योतिषी को
न दिखाना हाथ अपना
मैं यूँ ही बताये देता हूँ
तुम्हारे हाथों की लकीरें
कुछ नहीं बस
सूखी हुयी नदियों के निशान हैं
कभी यहाँ भी बहुत लोग आबाद रहें होंगे
कई कई हाथ इन हाथों में डूबे रहते होंगे
तुम्हारे यौवन का मानसून सूख गया
तो लोगों ने अपनी बस्तियाँ भी उठा ली
सुना है ऐसे ही एक दिन
सिंधु घाटी सभ्यता भी खत्म हुयी थी
तुम्हारे हाथों की लकीरें सूखी हुयी नदियों के निशान हैं
और सूखी नदियों के किनारे 'आदमी' नहीं रहा करते

-तुषारापात®™