विवेकानंद के लिए किसी ने परमहँस से यह कहा "ज्ञानी तो हैं परन्तु न जाने क्यों मुझे थोड़े से अभिमानी लगते हैं..मैंने तो सुना था फलों से लदे वृक्ष झुके रहते हैं..विनम्र रहते हैं..पर उनमें थोड़ी अकड़ दिखाई देती है"
"फलविहीन वृक्ष तो सदैव लचीला रहेगा क्योंकि उसपर कैसा बोझ...फलों से लदे वृक्ष की शाखाएं झुकीं रहतीं हैं..जिसे तुम अभिमान समझ रहे हो वह फलों के बोझ से उत्पन्न हुआ तनाव है..अकड़ नहीं..शाखा अगर सीमा से अधिक लचीली होगी तो फल मिट्टी में मिल जाएंगे..सड़ जाएंगे..ज्ञान रूपी स्वस्थ फल के लिए शाखा का यह तनाव ही जिज्ञासु को परिश्रम कराता है" परमहँस ने मुस्कुराते हुए उत्तर दिया।
~तुषार सिंह #तुषारापात®