Tuesday 21 July 2015

असमान आसमान

चलो बताता हूँ क्या है हममें तुममें असमान
बादलों के पार
चाँद के रथ पे
मेरा हाथ पकड़ के
उड़ जाएँ कर जाएँ पार सातों आसमान
ऐसे ही बहुत सपने हैं तुम्हारे प्रिया
और मेरे सपने हैं कुछ यूँ
एक बड़े घर में तुम्हारे साथ रहूँ
ई एम आई से बिलकुल न डरूँ
जिस ड्रेस पे तुम हाथ रख दो
उसका प्राइस टैग न देखूं
एक बार तुम्हे टेम्पो के बजाय
अपनी कार से आते जाते देखूँ
तुम्हारे काल्पनिक सपने तुम्हे खुश करते हैं प्रिये
और यथार्थ के वास्तविक सपने मुझे रखते हैं परेशान
चलो बताता हूँ क्या है तुममे मुझमे असमान

-तुषारापात®™


हिंदी का गुमनाम लेखक

"व्याख्या...व्याख्या...कहाँ हो तुम..." ऑफिस से वापस आकर फ्लैट के दरवाजे से ही सन्दर्भ ख़ुशी से उछलता और चिल्लाता चला आ रहा था

" क्या हुआ...राइटर बाबू....बड़े खुश लग रहे हो...लॉटरी लग गई क्या आज" व्याख्या किचेन से निकलते हुई बोली

" ये देखो...पूरे दो लाख का चेक...मुक्ता आर्ट्स से आया है..यू नो..मेरी स्क्रिप्ट सेलेक्ट हो गई...अब अगर उसपे मूवी बनी तो...कम से कम पंद्रह लाख मिलेंगे.." सन्दर्भ चेक के पंख लगा मानो उड़ा जा रहा था

" wow...सच में...ओह गॉड...सन्दर्भ तुमने कर दिखाया...मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा" व्याख्या की आवाज़ ख़ुशी से भर्रा सी गई उसे समझ ही नहीं आया इस इतनी ख़ुशी की बात पे वो अपनी कैसी प्रतिक्रिया दे

"चलो जल्दी तैयार हो जाओ...निष्कर्ष और टिप्पणी को भी तैयार कर लो..आज हम क्लार्क्स अवध में डिनर करेंगे...भई अब फाइव स्टार सेलिब्रेशन तो बनता ही है .....मैं बस फटाफट नहा लेता हूँ.." सन्दर्भ ने बैग एक तरफ फेंका और चेक व्याख्या को थमा अंदर चला गया, व्याख्या चेक को हाथ में पकड़े पकड़े सोफे पे बैठ गई और चेक को देखते देखते कहीं अतीत में खो गई (शायद व्याख्याएं अतीत की ही होती हैं भविष्य की तो बस कल्पनायें होती हैं)

उसे वो समय याद आ रहा था जब सन्दर्भ के बारे में उसने अपने घर में बताया था और कहा था कि वो शादी करना चाहती है हिंदी के इस गुमनाम लेखक से

"वो तो ठीक है...राइटर है...पर काम क्या करता है...कमाता भी है कुछ..या तुम्हारी पॉकेट मनी से ही चाय पीता है " संस्मरण बाबू ने व्यंग्य करते हुए पुछा

" पापा..वो बहुत अच्छा लिखता है..एक दिन बहुत बड़ा राइटर बनेगा..... और सबसे बड़ी बात मुझे बहुत चाहता है..और ये ही उसकी सबसे बड़ी कमाई है" व्याख्या ने आहत होते हुए अपने पापा से कहा

" बेटा..एक तो राइटर और वो भी हिंदी का.. न जाने कितने 'निराला' भूखे बेइज्जत घूमते देखे हैं मैंने...जानती हो तुमसे भी पाँच साल छोटी उम्र में मैंने अपना बिज़नेस जमा लिया था..... जिस उम्र में लोग पैसे पैसे के लिए अपने बाप का मुँह ताकते थे.. उस उम्र से मैं अपना घर शान से चला रहा हूँ और तुम्हारी माँ को सारी दुनिया की खुशियाँ देता आया हूँ....क्या दे पायेगा वो तुम्हें" संस्मरण बाबू ने अपने नाम को चरितार्थ करते हुए पहले अपनी शौर्य गाथा सुनाई और फिर व्याख्या की सपनो की मिठाई में यथार्थ का कड़वा करेला भी रख दिया

" देख व्याख्या..तेरे पापा ठीक कह रहे हैं... अरे जब कुछ कमाता नहीं है.. तो तुझे कैसे रखेगा.....तेरे पापा जैसा तो कोई हो नहीं सकता.. पर कम से कम लड़के में कुछ तो हो..जैसे वो राणा साहब का लड़का ..अरे..वो अर्थ कितना अच्छा लड़का है खूब पैसा कमा रहा है ..जैसा नाम वैसा गुण.." जीवनी ने उसे दुनियादारी समझानी चाही

" माँ.. अब तुम तो रहने ही दो..वैसे भी आपके पास पापा के शब्दों के अलावा कोई नई बात तो होती नहीं....आप तो बस उन्हीं का गुणगान करो और वैसे भी जीवनी का अपना कुछ नहीं होता वो हमेशा किसी और की जिंदगी की कहानी भर होती है" व्याख्या ने आज पहली बार अपनी माँ से इतनी बेबाकी से बात की थी

" मैं आप लोगों को बताये देती हूँ.....शादी मैं सन्दर्भ से ही करुँगी..ये व्याख्या...किसी अर्थ..या...भावार्थ की नहीं होगी....ये व्याख्या सिर्फ सन्दर्भ की है....और उसी की होगी" कहकर वो अपने कमरे में तेजी से दौड़ गई,संस्मरण बाबू और जीवनी एक दूसरे को बस देखते ही रह गए

"अरे...अभी भी चेक पकड़े बैठी हो..उठो यार तैयार हो." सन्दर्भ की आवाज़ से व्याख्या वर्तमान में आई

" हाँ...हाँ बस हो रही हूँ....जरा इस चेक की फ़ोटो क्लिक करके फेसबुक पे एक पोस्ट डाल दूँ..आखिर सबको पता तो चले तुम्हारी इस कामयाबी का....और हाँ डिनर हम क्लार्क्स में नहीं...द 'ताज' में करेंगे... ये सेलिब्रेशन फाइव स्टार नहीं.....सेवन स्टार होना चाहिए।"

'हिंदी और हिंदी लेखक के सम्मान के लिए ये एक छोटा सा प्रयास सन्दर्भ संग व्याख्या, आप सबके प्यार,आशीर्वाद और साथ की अपेक्षा रखता है'

-तुषारापात®™