नारी एक केंद्र बिंदु है और पुरुष उस बिंदु से एक निश्चित दूरी पे भ्रमण करता दूसरा बिंदु,जिससे आकर्षण के वृत्त का निर्माण होता है पुरुष को मर्यादा की त्रिज्या को अल्प करने का प्रयास नहीं करना चाहिए ये अधिकार प्रकृति ने नारी को दिया है वो ही समय समय पर त्रिज्या का मान न्यून या अधिक करती है जब त्रिज्या का मान शून्य होता है तब दोनों बिंदु एक दूसरे पे आरोपित होते हैं और एक नए बिंदु का आविष्कार होता है तत्पश्चात दो केंद्र बिंदु वाले गृहस्थी का दीर्घवृत्त आकर लेने लगता है और पुरुष का पहले से अधिक मान की परिधि का भ्रमण आरम्भ होता है।
-तुषारापात®™
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