आई है शगुन लेकर दिसम्बर के घर जनवरी
रचाओ स्वयंवर बालिग हुई है इक्कीसवीं सदी
#तुषारापात®
तुषार सिंह 'तुषारापात' हिंदी के एक उभरते हुए लेखक हैं जो सोशल मीडिया के अनेक मंचों पे बहुत लोकप्रिय हैं इनके लिखे कई लेख, कहानियाँ, कवितायें और कटाक्ष सभी प्रमुख हिंदी अख़बारों में प्रकाशित होते रहते हैं तथा रेडियो fm पर भी कई कार्यक्रमो के लिए आपने लिखा है। कुछ हिंदी फिल्मों के लिए आप स्क्रिप्ट भी लिख रहे हैं। आप इन्हें यहाँ भी पढ़ सकते हैं: https://www.facebook.com/tusharapaat?ref=hl
आई है शगुन लेकर दिसम्बर के घर जनवरी
रचाओ स्वयंवर बालिग हुई है इक्कीसवीं सदी
#तुषारापात®
मैं किस्मत,सोने सी करने को,सजदा करता हूँ
मेरे माथे की दरारों में,अब हर दर की,मिट्टी है
~तुषारापात®
छोड़ जाने वालों के नाम बुदबुदाने से
जान बच गई मगर होठ नीले पड़ गए
सांप काटे का अब वो जानता है मंतर
(पहली पंक्ति के साथ तीसरी पंक्ति पढ़िए और दूसरी पंक्ति के साथ तीसरी पंक्ति पढ़िए दो शे'र मिलेंगें बाकी त्रिवेणी तो है ही)
~तुषारापात®
आँखों की दावातें जो न छलकीं थीं तो
क्यूँ गालों से गीली इबारतें मिटा रहा था
#तुषारापात®
वो चाँदी को ताँबा बना रहा था
सफेद बालों में मेहंदी लगा रहा था
~तुषारापात®
नहीं जानते कि क्या है भगवान कहीं
मगर ये तय है कि हमारी ओर उसके कान नहीं
~तुषारापात®
ज़िन्दगी कुछ टर्म्स एंड कंडीशंस पे मिली है हमें
आसमाँ पे ये इतने स्टार यूँ ही नहीं लगाए उसने
*कंडीशन अप्लाई
~तुषारापात®