उँगलियाँ तेरी मेरी उँगलियों में उलझीं
साँसों के तेरे ज़ोर से ज़ुल्फ़ें मेरी सुलझीं
लाल डिब्बे में अब एक हुआ अपना पता
लबों पे मेरे लगा के अपने होठों की मुहर
इश्क की चिट्ठियाँ तूने बदन पे लिक्खीं
उँगलियाँ तेरी मेरी उँगलियों में उलझीं.....
धड़कनों के शोर से नहीं जागे हैं ये
उनींदे अरमानों की नींद टूटी है आज
चूड़ियाँ कलाइयों में हैं बार बार खनकीं
उँगलियाँ तेरी मेरी उँगलियों में उलझीं.....
कोई खतरे का नहीं है अब नामोंनिशाँ
लाँघ जाऊँ जो तेरे साथ लाज की रेखा
माँग में एक,गाल पे कई लाल रेखाएं हैं चमकीं
उँगलियाँ तेरी मेरी उँगलियों में उलझीं.....
सितारे मिलते हैं सितारों से मुश्किल से
मोम के ये टुकड़े आसमाँ में जो चमकते
मन्नतों की शमाएँ हैं जो थीं कभी पिघलीं
उँगलियाँ तेरी मेरी उँगलियों में उलझीं
साँसों के तेरे ज़ोर से ज़ुल्फ़ें मेरी सुलझीं
-तुषारापात®