सब्र की छत पे शायद अब पानी मरने लगा है
बारिशों से दीवारों पे उसका चेहरा बनने लगा है
#तुषारापात®
तुषार सिंह 'तुषारापात' हिंदी के एक उभरते हुए लेखक हैं जो सोशल मीडिया के अनेक मंचों पे बहुत लोकप्रिय हैं इनके लिखे कई लेख, कहानियाँ, कवितायें और कटाक्ष सभी प्रमुख हिंदी अख़बारों में प्रकाशित होते रहते हैं तथा रेडियो fm पर भी कई कार्यक्रमो के लिए आपने लिखा है। कुछ हिंदी फिल्मों के लिए आप स्क्रिप्ट भी लिख रहे हैं। आप इन्हें यहाँ भी पढ़ सकते हैं: https://www.facebook.com/tusharapaat?ref=hl
सब्र की छत पे शायद अब पानी मरने लगा है
बारिशों से दीवारों पे उसका चेहरा बनने लगा है
#तुषारापात®
दीवारों के
मुँह नहीं होते
तो बात फैलती कैसे है?
आदमी को बाँट के
खुद मिल के
दो दीवारें
एक हो जातीं हैं
मेरे कमरे की
दीवार का दूसरा कान
पड़ोसी के कमरे में लगा है
दीवारें
एक कान से सुनतीं
और दूसरे से निकाल देतीं हैं
दीवारों के
मुँह नहीं होते
तो बात फैलती ऐसे है।
#तुषारापात®