Friday 29 November 2019

कभी ख़ामोश बैठोगे कभी कुछ गुनगुनाओगे

बना रहने दो जो है ये पम्बे सा रिश्ता
हवा हो जाएगा जो ज़ोर से बुलाओगे

कोई न कोई ख़्वाब सर उठायेगा
तकिये से अपना सर जब लगाओगे

उभर आएंगीं गालों पे भीगी आयतें कुछ
मेरे नाम के मनके गर उँगलियों पे फिराओगे

हमारी बेबसी बन जायेगी इक तमाशा
बैसाखियों को गर पायल तुम पहनाओगे

ज़माना जान जाएगा के शायर था कौन
'तुषार' की मजार पे गर शमा तुम जलाओगे

*पम्बा= रुई का छोटा टुकड़ा
~तुषार सिंह#तुषारापात®