आसमाँ की पीठ पे
फेरो जो हाथ
तो दरदारती हैं
सितारों की पट्टियाँ
रात को चमकते हैं
गुनाह सूरज के
धूप से हुईं हैं ये
आसमाँ को घमौरियाँ
चाँद के डब्बे से
कोई पाउडर लगाता है
आसमाँ की पीठ पे
छाईं हैं सुफेद बदलियाँ।
-तुषारापात®
तुषार सिंह 'तुषारापात' हिंदी के एक उभरते हुए लेखक हैं जो सोशल मीडिया के अनेक मंचों पे बहुत लोकप्रिय हैं इनके लिखे कई लेख, कहानियाँ, कवितायें और कटाक्ष सभी प्रमुख हिंदी अख़बारों में प्रकाशित होते रहते हैं तथा रेडियो fm पर भी कई कार्यक्रमो के लिए आपने लिखा है। कुछ हिंदी फिल्मों के लिए आप स्क्रिप्ट भी लिख रहे हैं। आप इन्हें यहाँ भी पढ़ सकते हैं: https://www.facebook.com/tusharapaat?ref=hl
आसमाँ की पीठ पे
फेरो जो हाथ
तो दरदारती हैं
सितारों की पट्टियाँ
रात को चमकते हैं
गुनाह सूरज के
धूप से हुईं हैं ये
आसमाँ को घमौरियाँ
चाँद के डब्बे से
कोई पाउडर लगाता है
आसमाँ की पीठ पे
छाईं हैं सुफेद बदलियाँ।
-तुषारापात®
सितारे
धूप से पैदा हुईं
घमौरियाँ हैं
आसमाँ की पीठ पे
पाउडर लगा गया कोई
बहुत से सफेद बादल आज छाए हैं।
-तुषारापात®