दीवारों के
मुँह नहीं होते
तो बात फैलती कैसे है?
आदमी को बाँट के
खुद मिल के
दो दीवारें
एक हो जातीं हैं
मेरे कमरे की
दीवार का दूसरा कान
पड़ोसी के कमरे में लगा है
दीवारें
एक कान से सुनतीं
और दूसरे से निकाल देतीं हैं
दीवारों के
मुँह नहीं होते
तो बात फैलती ऐसे है।
#तुषारापात®
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