Monday, 23 July 2018

सूखा और बरसात

उसे देख के अजीब सा एहसास है
एक आँख में पानी एक में प्यास है

-तुषारापात®

Tuesday, 17 July 2018

छोटी सी कहानी

उसे दो ऑप्शन दिए गए-दो उँगलियों और एक अँगूठे से या तो कलम पकड़ने का या फिर रोटी तोड़ने का, उसने कौन सा ऑप्शन चुना पता नहीं..उसकी आत्मकथा में आगे कुछ भी लिखा नहीं मिला।

~तुषारापात®

Sunday, 15 July 2018

हिचकियाँ बिजलियाँ

जी चाहता है कि याद करें वो इतनी शिद्दत से
साँस लेना दूभर हो जाए इतनी आएं हिचकियाँ

बाद मरने के हो जाएं आसमाँ के बादल हम
और उनके याद करने से कड़काएँ बिजलियाँ

#तुषारापात®

Friday, 13 July 2018

बारिश

सब्र की छत पे शायद अब पानी मरने लगा है
बारिशों से दीवारों पे उसका चेहरा बनने लगा है

#तुषारापात®

दीवारों के कान

दीवारों के
मुँह नहीं होते
तो बात फैलती कैसे है?

आदमी को बाँट के
खुद मिल के
दो दीवारें
एक हो जातीं हैं

मेरे कमरे की
दीवार का दूसरा कान
पड़ोसी के कमरे में लगा है

दीवारें
एक कान से सुनतीं
और दूसरे से निकाल देतीं हैं

दीवारों के
मुँह नहीं होते
तो बात फैलती ऐसे है।

#तुषारापात®

Sunday, 8 July 2018

आग का साया

किसी के साये में महफूज़ रहने वाले जान ले जरा
परछाइयों के वजूद के लिए कोई सुलगता भी है

#तुषारापात®

Tuesday, 3 July 2018

बुढ़िया वांटेड है जो चरखा कातती है

आसमाँ पे चिपका है
एक गोल पोस्टर
बुढ़िया वांटेड है जो चरखा कातती है

रात काली पिस्तौल है
सन्नाटे का साइलेंसर लगा के
ख्वाबों को दागती है

दिल का फ्यूज
बार बार उड़ता है
कोई कोई ही सही करंट मारती है

प्यार के दाग अच्छे हैं
सफेद शर्ट को लिपस्टिक
आँख मारती है

दिल बड़ी 'चीज' है क्या
बड़े नाखूनों वाली उँगलियाँ
डबल चीज़ पिज्ज़ा रोज काटतीं हैं

उसके दाँत हैं
टाइपराइटर के फॉन्ट
लफ्ज़ छपते हैं मेरे गालों को जब काटती है

मेरी किस्मत
यूँ ही नहीं चमकी है
लेखनी रोज सितारों को स्कॉच ब्राइट से माँजती है

अच्छा लिखता है 'तुषार'
मगर कमेंट तुम वहीं करना
जो रोज़ एक नई फोटो डालतीं हैं

#तुषारापात®