Saturday 18 July 2015

जलनखोर सूरज

दहकता है
सुलगता है
जलता फिरता है
ये सूरज यूँ ही नहीं
देख लिया था
एक अमावस की रात
इसने उस चाँद को
कहीं और चार चाँद लगाते हुए

-तुषारपात®™
© tusharapaat.blogspot.com


No comments:

Post a Comment