Thursday, 17 September 2015

माँ

नहीं जानता,नहीं मानता कि
खाली बर्तन देख के निकलो
तो अपसगुन होता है या नहीं
गंगाजल देख के जाओ तो
काम बनता है या नहीं
पर जब किसी खास काम पे जाना होता था मुझे
तो माथा मेरा चूम लिया करती थी
हाँ अब कुछ कुछ समझा हूँ आखिर क्यों
माँ, तू भरी आँखों से मुझे विदा किया करती थी

-तुषारापात®™

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