Friday 10 July 2015

पायजामे की चेन

बड़े बड़े नेताओं (कालान्तर में कुछ हमारे चाचा और कुछ हमारे बापू हो गए,जिससे हमारी भारत माँ को भी एक पति और एक देवर मिल गए) के नारों से देश को दो टुकड़ों में आज़ादी नसीब हुयी ।वैसे दोनों देश एक न हो जाएँ उसमे भी कुछ नारे आज तक बहुत अच्छे साबित हो रहे हैं और एक हम हैं जो नारे के उलझने से कितनी बार पानी पानी हो चुके हैं तो भइया हमने सोचा की पायजामे के इस नारे से मुक्ति पाई जाये और इलास्टिक और चेन लगवा के अपनी बेचैनी शांत की जाये।
तो हम पहुंचे कल्लन मियां ,अमीनाबाद के गुमनाम दर्ज़ी के पास हमारी मंशा जान उन्होंने हमें ऐसे देखा जैसे अभी अभी गए मंगलयान से हमारी आज ही वापसी हुयी हो वो बोले-
"मियाँ 'बोम्बे' से आये हैं क्या आप ? ये कैसी फरमाइश है ,पायजामे में चेन "
आखिरी चंद शब्द उन्होंने थोड़े ज्यादा ही ऊँचे बोले जिससे पास ही चाय की दुकान पे अपनी संसद चला रहे चार पांच बेरोजगार रेजगारी की तरह के लोगों ने भी सुना । उनमे से एक उठ कर आये,कल्लन मियाँ से सारा माजरा समझ के अपने साथियों के साथ उस पर भरपूर चटकारा मार वो हमसे बोले "भाई साब हम एक रिपोर्टर हैं क्या मैं जान सकता हूँ आप ऐसा क्यों चाहते हैं?"
हमने भी एक मासूम बच्चे की तरह उनको बता दिया की चेन से लघुशंका आदि से निपटने में थोड़ी सुविधा हो जाती है, मेरी बात पूरी तरह सुनकर उन्होंने अपने मोबाईल से हमारी फ़ोटो ली हम भी अपने को कोई अभिनेता समझ थोडा फूलकर फोटो अपना खिंचवा लिए और कल्लन मियां के दर से बेआबरू हो कर घर वापस आ गए।
अगले दिन सुबह एक दोस्त से हमें पता चला की एक कोई गुमनाम से अखबार में हमारी फोटो छपी है और हमारा मजाक बनाया गया है,
ये सब उन्ही 'broker reporter' का किया धरा था जो अखवारों को 'breaking news' बेचते थे।
अब हम अपने इस कारनामे के कारण फेसबुक व्हाट्सअप आदि आदि से गुजरते हुए देश के धमाकेदार electronic media साक्षात् advance सत्य के ज्ञानी news channels पे छा चुके थे।
एक मशहूर चैनल पे चर्चा शुरू हुयी , एक परीचेहरा रिपोर्टर साहिबा 'बन्दूक' बनी हुयी थीं।एक मौलाना साहब, एक हिन्दू ज्ञानी, दो पार्टीओं के नेता, एक युवा सुधारवादी नेता और एक मनोचिकित्सिक को साथ लेकर वो चर्चा का संचालन कुछ यूँ कर रही थीं-
"नमस्कार आपका बहुत बहुत स्वागत है आज के हमारे विशेष कार्यक्रम 'चेन बिना चैन कहाँ में' ,पूरे देश में ये मुद्दा गर्म है की क्या पायजामे में चेन लगवाना कोई गुनाह है या व्यक्ति का अधिकार ?
स्टूडियो में मौजूद हमारे अतिथियों से उनकी राय जानते हैं
मौलाना साहब बोले "देखिये ये बिलकुल ही गलत डिमांड है पायजामे में चेन तो क्या हम तो उस पायजामे को ही हराम कहते हैं जो एड़ियों से ऊपर न हो ये सीधे सीधे हमारे मजहब पर हमला है"
पंडित जी - "महाशय हमारी पुरातन भारतीय संस्कृति में पायजामे जैसी कोई वेशभूषा ही नहीं है हम तो धोती कुरता पहनने वाले लोग हैं ये पायजामे जैसा वेश तो आप जैसे लोग लेकर आये हैं भारतीय संस्कृति को कलंकित करने वाले इस कृत्य का हम मरते दम तक विरोध करेंगे।"
युवा सुधारवादी ने फ़रमाया- "पायजामे में चेन का विरोध करने वाले व्यक्ति की 'अभिव्यक्ति' की आज़ादी को रोक रहे हैं हमारा इसे पूरा समर्थन है जंतर मंतर पे हम धरना देंगे और इस जायज माँग को मनवा के ही दम लेंगे।"
दोनों पार्टी के नेता एक दूसरे पे देश के महान सेकुलरिज्म को बर्बाद करने का आरोप जितना ज्यादा लगा सकते थे उससे भी ज्यादा लगाते गए।
महान मनोचिकित्सक महोदय ने तो छक्का ही जमाया- "हमें पहले ये समझना होगा की व्यक्ति ने ऐसी मांग क्यों रखी? उसके मनोभावों का विश्लेषण बहुत आवश्यक है वैसे मेरी नजर में ये उसकी ये सोच कहीं न कहीं उसके मन में छिपी बलात्कार की प्रवृति को भी उजागर कर रही है।"
इसी बीच रिपोर्टर बोली- "देखा आपने वो व्यक्ति एक बलात्कारी भी हो सकता है जो अपनी सुविधा के लिए पायजामे में चेन की मांग इसलिए कर रहा है की उसे बलात्कार में आसानी हो । रहिये हमारे साथ आते हैं एक छोटे से ब्रेक के बाद।"
ब्रेक में आये कई जेब और पेट काटने वाले प्रोडक्ट्स के विज्ञापनों में एक विज्ञापन पुरुषों के अंडरवियर का था जिसे एक महिला मॉडल पूरी 'शालीनता' से हम सभी को खरीदने की सलाह दे रही थीं की ये बड़ा 'आरामदायक' है।
खैर ब्रेक खत्म होता है इतनी देर में लाखों sms आ जाते हैं हाँ,नहीं और पता नहीं के आंकड़े रिपोर्टर साहिबा जोर जोर से जनता को बताती हैं चर्चा चलती रहती है..........
आप लोग अब क्या पढ़ते ही रहोगे ?अरे भाई चलो हाथ में एक एक पायजामा लेकर इंडिया गेट पे पायजामा मार्च में नहीं चलना है क्या?
वैसे जो लखनऊ में हैं वो जी पी ओ तक मार्च निकाल सकते हैं।
नोट- अभी अभी पता चला है की एक ज्योतिषी सिर्फ आपके पायजामे को देख के आपका भूत भविष्य सब बता देते हैं तो मैं जरा उनसे मिलके आता हूँ आप लोग मार्च चालू रखिये।

-तुषारापात®™

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