Tuesday, 28 September 2021

फ़ितरत

के फ़ितरत ही ऐसी है मग़रूर इंसान की 
दाँत खट्टे न हों जब तक ज़ुबाँ मीठी नहीं होती

~#तुषारापात

Monday, 30 August 2021

कृष्णार्जुन

गांडीव जिसे था सिद्ध
लक्ष्यभेद के लिये प्रसिद्ध
दृष्ट उसे था नियतिशाख पे
काल बना बैठा है गिद्ध 

विनती की उसने केशव से 
विचलित होगा हर शव से 
उसे सुनाई गई हर लोरी
लुप्त होगी काल के रव में 

चहुँओर होगा मृत्यु का नृत्य
आह! कितनी क्रूरता का कृत्य
जगत मिथ्या, तो जगतेश्वर!
कौन स्वामी और कौन भृत्य?

बोले कृष्ण सुनकर अर्जुन-रूदन 
पार्थ! ले देख काल का हर मर्दन 
उपभोगी को चुकाना पड़ता मूल्य 
मैं कोष, निसंकोच कर तू पुनर्भरण 

यह ब्रह्माण्ड मेरी कनिष्ठा का अणु
मैं विशेषण से परे क्यूँकि हूँ सहिष्णु 
मत हो भयभीत यह सब अतीत 
मैं ही जन्मता विषाणु और विष्णु

गांडीव उठा हे कुंती पुत्र! महारथी!
मोह त्याग अधर्मियों के हैं वे साथी
कर स्थापित धर्म का राज, रख लाज
सृष्टि चलाने वाला बना है तेरा सारथी!

~#तुषारापात

Thursday, 19 August 2021

माचिस

किताब, एक माचिस की डिब्बी है 
पन्ने को उंगलियों पे रगड़ो, अक़्ल रोशन हो जाती है।

#तुषारापात

Wednesday, 2 June 2021

केंद्र बनना है तो परिधि तोड़ो

यह मानव का आदिम गुण है कि वह स्वयं को सदैव केंद्र में रखने का प्रयास करता है, वास्तव में प्रत्येक व्यक्ति पहले से ही ब्रह्माण्ड का केंद्र है क्योंकि किसी गोलाकार वस्तु का हर बिंदु उसका केंद्र होता है।

मनुष्य का स्वयं को केंद्र में स्थापित करने का प्रयत्न वास्तव में उसकी स्वयं की काल्पनिक परिधि का आविष्कार करना है, इसके लिये वह नित्य नयी नयी त्रिज्यायें (आकांक्षायें) खींचता रहता है। यदि वह इन परिधियों का निर्माण करना छोड़ दे अर्थात अपने चारों ओर के व्यक्तियों से अपेक्षायें रखना समाप्त कर दे तो वह जान जाता है कि वह इस लघु जीवनवृत्त का नहीं बल्कि ब्रह्माण्ड का केंद्र है।

~#तुषारापात

Wednesday, 19 May 2021

मानचित्र सपाट किन्तु भू गोल

संसार के मानचित्र पर 
अपने मान को, वह 
चित्रित करने था निकला 

कुछेक राष्ट्र पर, उसके
युद्धक-अश्व का खुर, लगते ही
लगा उसके नाम का ठप्पा 

आर्यावर्त के मार्ग में 
एक सन्यासी से, वह
सत्ता विन्यासी टकराया

मैं विश्वविजेता सिकन्दर
तू दीन हीन एक नग्न नर 
कहकर उपहास उड़ाया 

मानचित्र सपाट किन्तु भू गोल
करता रह जायेगा परिक्रमा, हे भोल
धूनी रमाने वाला कहकर मुस्काया।

~#तुषारापात

Monday, 17 May 2021

मूर्खता की बात

मूर्खो का राजा होने के लिये बुद्धिमानी की नहीं, मूर्खता की सबसे बड़ी बात करनी होती है।

~#तुषारापात

Thursday, 13 May 2021

सांख्यिकी

हुक्मरान से पूछा 
इतने बीमार क्यों बढ़े
उत्तर में 
ठीक होने वाली की अधिक संख्या पाई

आसमान से पूछा
कि इतने क्यों मरे
उत्तर में 
जन्म लेने वालों की अधिक संख्या आई

दोनों ही 
माँग से अधिक 
आपूर्ति कर रहे हैं 

मगर माँग क्या थी 
और आपूर्ति क्या हुई
यह सांख्यिकी का नहीं
नीतिशास्त्र का विषय है।

~#तुषारापात

पाँव, नाव, गाँव

एक लहर का जाना 
दूसरी का है आना 
पर्यटक! किनारे पर 
अपने पाँव जमा के रख 

एक चक्रवात की शांति
दूसरे की तोड़ती भ्रांति 
माँझी! बीच समंदर
अपनी नाव बना के रख 

एक का नगर जाना
दूसरे को है बुलाना 
निवासी! ठहरकर 
अपना गाँव बचा के रख 

~#तुषारापात